देशबड़ी खबरें

नईदिल्ली : महिला बेंच करेगी मामले की सुनवाई

नईदिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में आज इतिहास दोहराया जाएगा, जब जस्टिस आर. भानुमति और इंदिरा बनर्जी की पूर्ण महिला खंडपीठ मामले की सुनवाई करेगी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण महिला बेंच ने 2013 में एक मामले की सुनवाई की थी. इस बेंच में जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा और रंजना प्रकाश देसाई थीं.

गौरतलब है कि अगस्त में जस्टिस बनर्जी को शपथ दिलाए जाने के साथ ही सुप्रीमकोर्ट के इतिहास में पहली बार तीन महिला जज हैं. स्वतंत्रता के बाद से सर्वोच्च अदालत में वह आठवीं महिला जज हैं .तीन वर्तमान महिला जजों में जस्टिस भानुमति सर्वाधिक वरिष्ठ हैं. उन्हें 13 अगस्त 2014 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था.

ये खबर भी पढ़ें- नईदिल्ली : सुप्रीम कोर्ट को मिली 8वीं महिला जज

इंदिरा बनर्जी सुप्रीम कोर्ट की जज बनने वाली बंगाल की दूसरी महिला हैं. इसके पहले जज रूमा पाल 18 साल पहले सुप्रीम कोर्ट की जज बनी थीं. बनर्जी ने 1985 में कलकत्ता हाई कोर्ट में वकालत शुरू की थी और फरवरी 2002 में वे पहली बार स्थाई जज नियुक्त की गई थीं.
जस्टिस फातिमा बीवी शीर्ष अदालत में नियुक्त होने वाली पहली महिला जज थीं. उनके बाद सुजाता मनोहर, रूमा पाल, ज्ञान सुधा मिश्रा, रंजना प्रकाश देसाई, आर भानुमति, इंदु मल्होत्रा और फिर हाल में इंदिरा बनर्जी सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त हुईं.

इनमें से जस्टिस बीवी, जस्टिस मनोहर और जस्टिस पाल सुप्रीम कोर्ट में अपने समूचे कार्यकाल के दौरान एकमात्र महिला जज रहीं. 2011 में जज देसाई को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किए जाने के बाद शीर्ष अदालत में दो महिला जज देखने को मिलीं.
जस्टिस बीवी को 1989 में सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया. सुप्रीम कोर्ट के 1950 में गठन के 39 वर्षों के बाद किसी महिला को शीर्ष अदालत का जज बनाया गया. केरल हाईकोर्ट के पद से रिटायर होने के बाद उन्हें शीर्ष अदालत में नियुक्त किया गया था.

जस्टिस मनोहर ने बंबई हाईकोर्ट के जज से अपने करियर की शुरुआत की थी. वह बाद में केरल हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस बनीं. इसके बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया, जहां उनका कार्यकाल आठ नवंबर 1994 से 27 अगस्त 1999 तक रहा.
जस्टिस मनोहर के रिटायर होने के लगभग पांच महीने बाद जस्टिस पाल को नियुक्त किया गया. वह सुप्रीम कोर्ट में सर्वाधिक समय तक कार्य करने वाली महिला जज बनीं. उनका कार्यकाल 28 जनवरी 2000 से दो जून 2006 तक रहा.

उनके रिटायरमेंट के चार साल बाद किसी महिला को शीर्ष अदालत का जज नियुक्त किया गया. जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा को झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के पद से सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट किया गया. सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल 30 अप्रैल 2010 से 27 अप्रैल 2014 तक रहा.

उनके कार्यकाल के दौरान ही जस्टिस देसाई की भी सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्ति हुई. उनका कार्यकाल 13 सितंबर 2011 से 29 अक्तूबर 2014 के बीच रहा. जस्टिस देसाई के 29 अक्तूबर 2014 को सेवानिवृत्त होने के बाद जस्टिस भानुमति इस साल 27 अप्रैल को जस्टिस मल्होत्रा की नियुक्ति तक सुप्रीम कोर्ट में एकमात्र महिला जज रह गईं.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button