जगदलपुर: आदिवासी साथ न दें तो भाजपा 20 सीट भी नहीं जीत सकती : कुंजाम
जगदलपुर, भू राजस्व संहित के तहत सरकार के पारित बिल को आदिवासी समाज के भारी विरोध के बाद वापस लेने पर आदिवासी महासभा के नेता मनीष कुंजाम ने सरकार की इस फैसले पर कटाक्ष करते शुक्रवार को गांधी मैदान में मंच से कहा कि सरकार जानती है कि यदि आदिवासी साथ न दें तो वो बीस सीट भी प्रदेश में नहीं ला पाएगी।
आदिवासी कार्ड खेलनी वाली भाजपा सरकार को भू राजस्व संहिता में संशोधन बहुत ही घातक कदम था। आदिवासियों के लिए यह फैसला पांचवी अनुसूची लागू इलाके में अमल किया जाना संभव ही नहीं था। बावजूद इसके सरकार ने अपनी नीति में संशोधन किया। इसके चलते उन्हें मुंह की खानी पड़ी। अब इस विधेयक को वापिस संशोधित किए जाने के बाद भी आदिवासी समाज को खुश होकर सरकार पर भरोसा नहीं करना चाहिए। आदिवासी समाज इस निर्णय को आगामी चुनाव से जोडक़र देख रहा है।
कुंजाम ने कहा कि हमने विरोध के स्वर मुखर किए थे और सरकार बैकफुट पर गई। हो सकता है कि आने वाले समय में यह सरकार फिर से अपनी जिद्द पर अड़ जाए। अब हमारी अगली सरकार से भूमकाल दिवस पर शुरू होगी। इस लड़ाई में बस्तर की ऐसी जमीन जो सरकार के कब्जे में है उसे मुक्त करवाया जाएगा। इसमें एसएस डायकेम के लिए गांव की प्रस्तावित आठ सौ एकड़ भूमि और लोहण्डीगुड़ा में प्रस्तावित टाटा इस्पात संयंत्र के लिए प्रभावित किसानों की जमीन शामिल है। एक फरवरी को भूमकाल दिवस के दिन से ही हम क्रमिक भूख हड़ताल के जरिए अपना विरोध दर्ज करेंगे। जब तक सरकार हमारी मांग पूरी नहीं करेगी विरोध उग्र रूप लेकर जारी रहेगा।
पंचायत के अधिकार समाप्त
कुंजाम ने सरकार पर आरोप लगाया है कि तीन साल पहले तक गांव में जो भी जमीन की खरीदी बिक्री होती थी उसमें पंचायत की अनापत्ती आवश्यक होती थी। भाजपा सरकार ने एक तरह से पंचायती राज व्यवस्था को ध्वस्त करते इस प्रक्रिया को शिथिल कर दिया है। अब ऐसा नहीं होने से पंंचायत के अधिकारों का हनन हो रहा है।