नक्सलियों के गढ़ में गरजा ग्रेहाउंड्स का कहर, करोड़ों के इनामी ढेर – एनकाउंटर अब भी जारी

रायपुर। छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की सीमा पर एक बार फिर गोलियों की तड़तड़ाहट गूंजी है। मारेडपल्ली जंगलों में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच ज़बरदस्त मुठभेड़ जारी है। आंध्र प्रदेश की स्पेशल फोर्स ग्रेहाउंड्स ने बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए नक्सलियों के शीर्ष नेतृत्व को करारा झटका दिया है।
अब तक की पुष्टि के मुताबिक, ग्रेहाउंड्स ने 40 लाख के इनामी और सेंट्रल कमेटी मेंबर गजरला रवि, उसकी पत्नी अरुणा (20 लाख की इनामी) और एक अन्य बड़े नक्सली को ढेर कर दिया है। अरुणा स्पेशल जोनल कमेटी (SZCM) की सदस्य थी और कुख्यात नक्सली नेता चलपति की पत्नी थी।
अभी भी इलाके में फायरिंग जारी है, सुरक्षा बल मुठभेड़ स्थल को चारों तरफ से घेरे हुए हैं। घटना आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले की बताई जा रही है, जिसकी पुष्टि जिले के एसपी अमित बरदार ने की है।
गजरला रवि: एक दशक से आतंक, अब खामोश
गजरला रवि वही नक्सली है जिसने 10 फरवरी 2012 को बीएसएफ की टुकड़ी पर हमला कर तीन जवानों की हत्या की थी। कमांडेंट को भी नहीं छोड़ा गया। इसके बाद से वह फरार था और छत्तीसगढ़ में सक्रिय था। रवि की तलाश में सुरक्षाबल वर्षों से लगे थे।
हालिया कार्रवाइयों से हिल गया नक्सली नेटवर्क
सिर्फ रवि ही नहीं, बीते दिनों में सुरक्षा बलों ने एक के बाद एक कई बड़े नक्सलियों को ढेर किया है।
बीजापुर के नेशनल पार्क इलाके में सुधाकर उर्फ नर सिंहाचलम को मार गिराया गया था, जिस पर 1 करोड़ का इनाम था।
12 दिन पहले, 45 लाख के इनामी भास्कर को इंद्रावती टाइगर रिजर्व क्षेत्र में मुठभेड़ के दौरान मारा गया। उसके पास से ऑटोमैटिक हथियार भी बरामद हुए थे।
शाह की चेतावनी और रणनीति
गृहमंत्री अमित शाह ने अगस्त 2024 में बस्तर दौरे के दौरान ऐलान किया था कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद का पूरी तरह सफाया कर दिया जाएगा। उन्होंने तीन स्तंभों पर आधारित रणनीति—सरेंडर पॉलिसी, सख्त कार्रवाई और विकास कार्यों के जरिये इस लड़ाई को निर्णायक बनाने की बात कही थी।
क्या 2026 से पहले ही खत्म हो जाएगा नक्सलवाद?
तेज होते ऑपरेशनों और लगातार मारे जा रहे शीर्ष नक्सलियों को देखकर यह सवाल उठना लाजिमी है कि नक्सलवाद के अंत की घड़ी करीब आ चुकी है? सुरक्षाबल अब नक्सलियों की छिपी मांदों में घुसकर कार्रवाई कर रहे हैं। एक वक्त जो इलाका “नक्सली अड्डा” कहलाता था, वहां अब बंदूक की नली से बदला हुआ परिदृश्य नजर आ रहा है।