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बोरे-बासी दिवस में 8 करोड़ खर्च का मामला गरमाया, छत्तीसगढ़ सरकार ने की जांच की घोषणा

रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासनकाल के दौरान आयोजित ‘बोरे-बासी दिवस’ पर सरकारी खर्च को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। अब राज्य सरकार ने इस आयोजन में हुई संभावित अनियमितताओं की जांच कराने का निर्णय लिया है। शुक्रवार को विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन इस मुद्दे पर तीखी बहस हुई, जिसके बाद विधायकों की एक समिति बनाकर जांच कराने की घोषणा की गई।

भाजपा विधायक राजेश मूणत ने उठाया मुद्दा, श्रम मंत्री ने दी जांच की घोषणा

भाजपा विधायक राजेश मूणत ने ध्यानाकर्षण सूचना के जरिए 1 मई 2023 को आयोजित बोरे-बासी दिवस में भारी खर्च और गड़बड़ियों का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि केवल 5 घंटे के कार्यक्रम में सरकार ने 8.14 करोड़ रुपये खर्च कर दिए, जबकि आयोजन की वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग थी। इसके जवाब में श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन ने सदन को जानकारी दी कि कांग्रेस शासनकाल के इस आयोजन की जांच करवाई जाएगी और एक समिति इसका पूरा विश्लेषण करेगी।

एक अखबार की रिपोर्ट से सामने आया मामला

इस मामले का खुलासा एक अखबार की एक रिपोर्ट में हुआ, जिसमें आरटीआई के माध्यम से प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर आयोजन की वास्तविक तस्वीर सामने लाई गई।

रिपोर्ट के मुताबिक:
•1 मई को रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित कार्यक्रम में 50 हजार मजदूरों के जुटने की बात कही गई थी, जबकि हकीकत में सिर्फ 15 हजार मजदूर उपस्थित थे।

•6 डोम बनाने का दावा किया गया था, पर केवल 4 डोम बनाए गए।

•75 लाख रुपये के भोजन, 27 लाख के पानी, 80 लाख की टोपी, और 1.10 करोड़ रुपये के डोम पर खर्च दिखाया गया।

•मजदूरों को 5 रुपये वाली पानी की बोतल 18 रुपये में खरीदी गई।

•150 विशेष अतिथियों को 10 हजार रुपये का मोमेंटो दिया गया, जिसकी असली लागत मात्र 4 हजार रुपये बताई जा रही है।

क्या है बोरे-बासी दिवस?

‘बोरे-बासी’ छत्तीसगढ़ का पारंपरिक भोजन है, जिसे आमतौर पर मजदूर वर्ग और ग्रामीण लोग गर्मियों में खाते हैं। इसमें रात के बचे हुए चावल को पानी में भिगोकर अगली सुबह खाया जाता है। 2018 में कांग्रेस सरकार के आने के बाद इसे एक प्रतीकात्मक त्योहार के रूप में 1 मई मजदूर दिवस पर मनाया जाने लगा था। इस आयोजन में आईएएस, आईपीएस, मंत्रीगण और अधिकारी सार्वजनिक रूप से बोरे-बासी खाते नजर आते थे। इसका उद्देश्य श्रमिकों और मजदूर वर्ग के साथ एकजुटता दिखाना था।

भाजपा ने बताया जनता की गाढ़ी कमाई की बर्बादी

भाजपा ने इस आयोजन को “जनता की गाढ़ी कमाई की बर्बादी” करार देते हुए कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उनका आरोप है कि श्रमिकों के नाम पर दिखावे का आयोजन किया गया और उसका उद्देश्य केवल सरकारी धन का दुरुपयोग था।
सरकार बदली, आयोजन बंद, अब होगी गड़बड़ियों की जांच
2023 के अंत में छत्तीसगढ़ में सरकार बदल गई। भाजपा के सत्ता में आने के बाद बोरे-बासी दिवस का आयोजन बंद कर दिया गया। अब भाजपा सरकार कांग्रेस सरकार के इस आयोजन की हर स्तर पर जांच कराने जा रही है। विधानसभा में इसकी आधिकारिक घोषणा भी कर दी गई है।

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