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लखपति दीदियाँ बनीं ग्रामीण बदलाव की मिसाल, युवाओं के लिए प्रेरणा

रायपुर। छत्तीसगढ़ में अब गांव की महिलाएं केवल घर तक सीमित नहीं हैं, बल्कि मेहनत और हौसले से वो लाखों की कमाई कर रही हैं और दूसरों को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं। गरियाबंद जिले के छुरा और मैनपुर विकासखण्ड की महिलाएं इस बदलाव की मिसाल बन चुकी हैं।

छुरा के सरकड़ा गांव की नर्मदा निषाद और मैनपुर के जिडार गांव की देवली नेताम जैसे कई नाम अब गांव-गांव में प्रेरणा बन चुके हैं। खरखरा की सतबाई, रानीपरतेवा की झनेश्वरी साहू, मातरबाहरा की जागेश्वरी नेताम, दबनई की कौशिल्या और जाडापदर की रामेश्वरी विश्वकर्मा – ये सभी महिलाएं मिलकर ईंट निर्माण और सेंट्रिंग प्लेट जैसी आजीविका गतिविधियों से लाखों की आमदनी कर रही हैं।

आजीविका का नया मॉडल

इन महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह के जरिए लोन लिया और ईंट निर्माण, सेंट्रिंग प्लेट सप्लाई जैसे व्यवसाय की शुरुआत की। पहले जो महिलाएं मजदूरी पर निर्भर थीं, अब वे खुद रोजगार पैदा कर रही हैं – अपने लिए भी और दूसरों के लिए भी।

प्रधानमंत्री आवास योजना में योगदान

दीदियाँ अब प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सेंटरिंग प्लेट की सप्लाई कर रही हैं। इससे न केवल उनकी आय बढ़ी है, बल्कि आस-पास के गांवों में भी निर्माण कार्यों में इनकी मांग बढ़ी है।

3 लाख रुपये से ज्यादा सालाना आय

ईंट, सेंटरिंग प्लेट और अन्य निर्माण सामग्री की आपूर्ति से कई महिलाओं की सालाना कमाई 3 लाख रुपये से ज्यादा हो चुकी है। वे अब निजी निर्माण कार्यों के लिए भी सप्लाई कर रही हैं।

दूसरी महिलाओं के लिए बनीं प्रेरणा

इन दीदियों ने साबित कर दिया है कि आत्मनिर्भरता और उद्यमिता से गांव की तस्वीर बदली जा सकती है। आज वे अन्य ग्रामीण महिलाओं को भी प्रशिक्षण देकर उन्हें भी इस यात्रा में साथ ले जा रही हैं।

छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ‘बिहान’ के तहत ये महिलाएं बदलाव की नई कहानी लिख रही हैं – एक ऐसी कहानी, जिसमें आत्मविश्वास, मेहनत और हिम्मत की झलक साफ दिखाई देती है।

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