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रायपुर में न्यायिक उत्कृष्टता की ओर एक और कदम, संभागीय सेमिनार में 126 न्यायिक अधिकारियों ने लिया भाग

रायपुर, 28 जुलाई। न्यायिक दक्षता, विधिक समझ और संवेदनशीलता को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी द्वारा रायपुर संभाग के न्यायिक अधिकारियों के लिए एक दिवसीय संभागीय सेमिनार का आयोजन न्यू सर्किट हाउस, सिविल लाइन, रायपुर में किया गया। इस विशेष कार्यशाला में रायपुर संभाग के चार जिलों के 126 न्यायिक अधिकारियों ने भागीदारी दर्ज की।

सेमिनार का उद्घाटन छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने किया। उन्होंने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में कहा कि “न्यायिक कार्य महज कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना का माध्यम भी है। हर केस के पीछे एक मानवीय कहानी छुपी होती है।” उन्होंने वर्तमान न्याय व्यवस्था की चुनौतियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि जनता निष्पक्षता, गति और संवेदनशीलता की अपेक्षा करती है।

इस मौके पर न्यायमूर्ति नरेश कुमार चंद्रवंशी, न्यायमूर्ति दीपक कुमार तिवारी, और न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडेय की गरिमामयी उपस्थिति ने आयोजन को विशेष बना दिया।

कार्यशाला में चर्चा के केंद्र में गिरफ्तारी, रिमांड और जमानत से जुड़े नए विधिक प्रावधान, हिंदू उत्तराधिकार एवं विरासत कानून, और अभियुक्त की परीक्षण प्रक्रिया रहे। मुख्य न्यायाधीश ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) जैसे हालिया कानूनों की जानकारी को न्यायाधीशों के लिए अत्यंत आवश्यक बताया और कहा कि निर्णयों में विधिक शुद्धता सुनिश्चित करना न्याय की आत्मा है।

कार्यक्रम में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश रायपुर ने स्वागत भाषण दिया, वहीं न्यायिक अकादमी के निदेशक ने परिचयात्मक वक्तव्य प्रस्तुत किया। सेमिनार का समापन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रायपुर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

प्रतिभागियों ने विषयगत प्रस्तुतियों के माध्यम से अपने अनुभव और विचार साझा किए। मुख्य न्यायाधीश ने इस अवसर को आत्मनिरीक्षण, सीखने और न्यायिक प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करने वाला मंच बताया और सभी अधिकारियों से कार्यशाला से प्राप्त ज्ञान को अपने न्यायिक कार्यों में लागू करने का आह्वान किया।

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