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संतों को बदनाम कर गुटखा बेच रही है मीडिया, अनिरुद्धाचार्य बोले – हिंदू विरोधी हो गई है मीडिया

संतों पर षड्यंत्र! | मीडिया गुटखा बेच रही | प्रेमानंद जी के विरोध पर भड़के अनिरुद्धाचार्य

नई दिल्ली: मीडिया पर निशाना साधते हुए प्रसिद्ध कथा वाचक अनिरुद्धाचार्य ने एक लंबा और आक्रामक भाषण देते हुए मीडिया, बॉलीवुड और गुटखा-शराब उद्योग पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने दावा किया कि संतों को बदनाम करने के पीछे एक गहरा षड्यंत्र काम कर रहा है — और इसकी सीधी वजह है कि संत लोग गुटखा, शराब और जुए के खिलाफ बोल रहे हैं, जिससे इन उत्पादों के प्रचार पर असर पड़ रहा है।

इस पूरे संबोधन में अनिरुद्धाचार्य ने पूज्य प्रेमानंद महाराज का भी जिक्र करते हुए कहा कि,

“प्रेमानंद जी ने कथा सुनाकर हजारों लोगों को गुटखा और शराब छुड़वा दिया। मीडिया को ये अच्छा नहीं लगा। क्योंकि अधिकांश न्यूज़ चैनलों में गुटखे और जुए के ऐप्स का प्रचार चलता है। जब हमने और पूज्य प्रेमानंद जी ने इसका विरोध किया तो न्यूज़ वालों ने हमारे खिलाफ अभियान छेड़ दिया।”

उन्होंने आरोप लगाया कि आज मीडिया संतों के खिलाफ कैंपेन चलाकर युवाओं को गुमराह कर रही है, ताकि गुटखा और जुए जैसे उत्पाद खुलेआम बिकते रहें।

“मीडिया शकुनी की भूमिका निभा रही है”

अनिरुद्धाचार्य ने महाभारत का हवाला देते हुए कहा –

“कलयुग में महाभारत कराने का काम अब मीडिया कर रही है। पहले शकुनी ने समाज को तोड़ा था, अब मीडिया वही काम कर रही है – हिंदू को हिंदू से, संत को संत से लड़ाकर।”

उन्होंने यह भी कहा कि कुछ मीडिया संस्थान अब समाज को भड़काकर, टीआरपी बटोरने और गुटखे के प्रचार में ही लगे हैं।

“छिंगुर बाबा जैसे अपराधी को मीडिया ने छोड़ा, संतों को घेरा”

अपने संबोधन में अनिरुद्धाचार्य ने ‘झिंगुर बाबा’ का जिक्र करते हुए एक और बड़ा सवाल उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि

“एक मुसलमान व्यक्ति जो हिंदू संत बनकर लड़कियों की तस्करी कर रहा था, उसके खिलाफ मीडिया ने उतना विरोध नहीं किया, जितना प्रेमानंद महाराज के एक बयान को लेकर किया गया। क्यों?”

उन्होंने सांप्रदायिक भेदभाव का आरोप लगाते हुए पूछा –

“कभी किसी मौलाना, चर्च, या पादरी पर फिल्म बनी है? लेकिन आश्रम जैसी फिल्मों में हिंदू संतों को खुलेआम बदनाम किया जा रहा है। क्या ये मीडिया का एजेंडा नहीं है?”

बाढ़, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर चुप क्यों है मीडिया?

अनिरुद्धाचार्य ने देश की मूल समस्याओं की ओर ध्यान खींचते हुए कहा कि

“हर साल बाढ़ आती है, लाखों लोग बेघर हो जाते हैं, लेकिन मीडिया उस पर डिबेट नहीं करती। क्या इस देश में शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था की दुर्दशा पर मीडिया को बात नहीं करनी चाहिए?”

उन्होंने दावा किया कि

“अमेरिका में प्रधानमंत्री और टैक्सी ड्राइवर के बच्चे एक ही स्कूल में पढ़ते हैं। लेकिन भारत में एक तरफ नेता विदेश भेजते हैं और गरीब सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं।”

महिला आयोग पर भी उठाए सवाल

उन्होंने महिला आयोग की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि

“जब पूज्य प्रेमानंद जी या मैं कुछ बोलता हूं तो महिला आयोग खड़ा हो जाता है। लेकिन जब बॉलीवुड और जुए वाले ऐप्स महिलाओं को भटका रहे होते हैं, या छिंगुर बाबा जैसी घटनाएं होती हैं, तब महिला आयोग कहां होता है?”

“अगर संत ही डरने लगेंगे, तो सनातन का कौन रखवाला होगा?”

अनिरुद्धाचार्य ने खुले मंच से कहा कि

“मीडिया चाहती है कि संत लोग डरकर चुप रहें। लेकिन मैं डरने वाला नहीं हूं। आज के समय में सच बोलना सबसे बड़ा अपराध बन गया है।”

उन्होंने कहा कि

“संतों के खिलाफ षड्यंत्र चल रहा है क्योंकि अब लोग बॉलीवुड से ज्यादा संतों को सुनने लगे हैं। इसलिए विरोध किया जा रहा है।”

अनिरुद्धाचार्य का यह संबोधन सिर्फ एक व्यक्तिगत प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि मीडिया, सरकार, और समाज के नैतिक पक्षों पर सीधा हमला है।
उन्होंने प्रेमानंद महाराज का उदाहरण देते हुए यह बताने की कोशिश की कि संत समाज का अपमान असल में सनातन संस्कृति पर हमला है।
वो कहते हैं –

“गुटखा खाना गलत है, शराब पीना गलत है, और इनका प्रचार करना उससे भी ज्यादा गलत है। जो इसके खिलाफ बोलेगा, उसे मीडिया निशाने पर लेगी – जैसे हमें लिया गया।”

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