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UPI फिर हुआ ठप! लाखों यूज़र्स फंसे, बड़े बैंकों और ऐप्स की सेवाएं ठप, IMF ने जिसे बताया था ‘ग्लोबल लीडर’

रायपुर। देश में डिजिटल पेमेंट की रीढ़ बन चुका UPI गुरुवार को फिर लड़खड़ा गया। शाम करीब 7:45 बजे से लाखों यूज़र्स को पेमेंट करने में दिक्कत आने लगी, जिसने देखते ही देखते HDFC Bank, SBI, Bank of Baroda, और Kotak Mahindra Bank जैसी बड़ी बैंकों की सेवाओं को भी ठप कर दिया।

Google Pay, PhonePe और Paytm जैसे बड़े पेमेंट प्लेटफॉर्म्स पर ट्रांजैक्शन अटकने लगे, जिससे यूज़र्स को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। डाउनडिटेक्टर पर मात्र एक घंटे में 2,147 आउटेज की रिपोर्ट दर्ज की गईं—जिनमें से 80% शिकायतें सिर्फ एक ही बात कह रही थीं: “पेमेंट नहीं हो रहा!”

2025 में चौथी बार ठप पड़ा UPI

इस साल यह चौथी बार है जब UPI नेटवर्क ने जवाब दे दिया है। लाखों करोड़ों के ट्रांजैक्शन पर निर्भर भारत के लिए यह झटका हल्का नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि जिस सिस्टम को दुनिया में सबसे फास्ट और भरोसेमंद पेमेंट सिस्टम कहा जा रहा है, उसमें बार-बार आ रही रुकावटों का जिम्मेदार कौन?

25 लाख करोड़ का लेनदेन, फिर भी ठहर जाता है सिस्टम

जुलाई 2025 में ही 25.08 लाख करोड़ रुपये का ट्रांजैक्शन UPI के जरिए हुआ था। मई में यह आंकड़ा 25.14 लाख करोड़ तक पहुंचा था। NPCI के मुताबिक, हर दिन औसतन 628 मिलियन ट्रांजैक्शन हो रहे हैं, जिनकी वैल्यू लगभग 80,919 करोड़ रुपये है। लेकिन जब इतना बड़ा सिस्टम बार-बार ठप हो रहा है, तो यूज़र्स का भरोसा डगमगाना लाज़मी है।

IMF ने बताया था ‘ग्लोबल लीडर’, अब खड़े हैं सवालों के घेरे में

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने हाल ही में भारत को फास्ट पेमेंट सिस्टम में “ग्लोबल लीडर” करार दिया था। UPI की पहुंच अब 491 मिलियन लोगों और 65 मिलियन कारोबारियों तक है। ये 675 बैंकों को जोड़ने वाला एक मजबूत नेटवर्क है — लेकिन जब यह नेटवर्क ही ठप हो जाए, तो क्या इसे वाकई लीडर कहा जा सकता है?

अब ज़रूरत है जवाबदेही की

डिजिटल इंडिया की रफ्तार में UPI एक बेशकीमती इंजन है, लेकिन बार-बार की तकनीकी गड़बड़ियां अब सिर्फ ‘तकनीकी खामी’ कहकर नहीं टाली जा सकतीं। लाखों लोगों और व्यापारियों का रोज़मर्रा का काम इससे जुड़ा है, और सिस्टम की मजबूती अब केवल आंकड़ों से नहीं, व्यवहारिक स्थिरता से साबित होगी।

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