‘उदयपुर फाइल्स’ आखिरकार बड़ी पर्दे पर, तीन साल बाद सच की कहानी सामने

कन्हैयालाल हत्याकांड की सनसनीखेज़ घटना पर बनी फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ लंबे इंतजार के बाद 8 अगस्त को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। विवादों और कानूनी जंजाल के बावजूद दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी है, जिससे अब यह फिल्म बड़े पर्दे पर दस्तक देने के लिए पूरी तरह तैयार है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया फिल्म को हरी झंडी
कन्हैयालाल मर्डर केस के आरोपी की ओर से फिल्म की रिलीज़ रोकने के लिए दायर याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने ठुकरा दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि फिल्म पर रोक लगाने के लिए कोई ठोस वजह नहीं है। इस फैसले ने फिल्म के निर्माता और दर्शकों दोनों को बड़ी राहत दी है।
61 विवादित सीन हटाए गए, शांति बनाये रखने का प्रयास
फिल्म में विवादास्पद दृश्यों की वजह से कई सवाल उठे। खासकर मौलाना मदनी की आपत्ति उस सीन को लेकर थी, जिसमें पैगंबर मोहम्मद और उनकी पत्नियों के बारे में नूपुर शर्मा के बयान का जिक्र था। विवाद से बचने के लिए निर्माता ने कुल 61 आपत्तिजनक सीन फिल्म से निकाल दिए हैं, ताकि समाज में शांति बनी रहे।
पर्दे पर बहता खून, गूंजती चीखें: अमित जानी की बात
फिल्म की दिल्ली में हुई प्री-स्क्रीनिंग में प्रोड्यूसर अमित जानी ने भावुक होते हुए कहा,“यह वही दर्द है, वही आंसू हैं जो तीन साल पहले कन्हैयालाल की गलियों में बहा था। यही दर्द अब पर्दे पर दर्शकों के सामने है। अगर हम उनकी इस आवाज़ को भूल गए तो हमारी सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।”
उन्होंने आगे जोड़ा, “जितने वार कन्हैयालाल पर चाकू से हुए, उससे ज्यादा वार इस फिल्म पर हुए। लेकिन हम हार नहीं मानेंगे। अब पूरा देश एक साथ आकर कन्हैयालाल के परिवार के साथ खड़ा हो।”
‘उदयपुर फाइल्स’ की कहानी
यह फिल्म राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल के मर्डर की असली घटनाओं पर आधारित है। कन्हैयालाल ने बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा का समर्थन किया था, जिसके बाद उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई। पहली बार यह फिल्म 11 जुलाई को रिलीज होने वाली थी, लेकिन कानूनी अड़चनों के चलते देरी हुई। अब 8 अगस्त को रिलीज़ हो रही इस फिल्म को लेकर दर्शकों में उत्साह और संवेदनशीलता दोनों हैं।
एक कदम सच की तरफ़, एक तगड़ा संदेश
‘उदयपुर फाइल्स’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक आवाज़ है उन तमाम आवाज़ों की जो दबा दी गईं। यह फिल्म न केवल एक घटना को याद दिलाती है, बल्कि देश के लिए एक संदेश भी है — सुरक्षा और सहिष्णुता की कीमत क्या होती है।