भारत पर ट्रंप का टैक्स-बम: दोस्ती की जगह ‘ड्युटी’ की सौगात!

नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ‘अमेरिका फर्स्ट’ की तलवार चलाते हुए भारत पर दोहरी मार कर दी है — 25 + 25 = 50 फीसदी का टैरिफ बम! ये फैसला 27 अगस्त से लागू होगा, और इसके बाद भारत से अमेरिका को जाने वाले कई सामानों पर भारी शुल्क देना होगा।
पर बात यहीं खत्म नहीं होती। ट्रंप का ये कदम अब न सिर्फ भारत में बल्कि खुद अमेरिका के भीतर भी आग का काम कर रहा है।
“भारत पर टैरिफ, पाकिस्तान से यारी — ये कैसी कूटनीति?” — फरीद ज़कारिया की दो टूक
प्रसिद्ध भारतीय-अमेरिकी पत्रकार और विदेश नीति विश्लेषक फरीद ज़कारिया ने ट्रंप प्रशासन की नीतियों पर जमकर निशाना साधा। CNN को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा:
“भारत पर टैरिफ थोपना और पाकिस्तान से संबंधों को सुधारना — ये ट्रंप की विदेश नीति की सबसे बड़ी भूलों में से एक है।”
ज़कारिया ने चेतावनी दी कि भले ही ट्रंप पीछे हट भी जाएं, भारत अब अमेरिका को लेकर पहले जैसा भरोसा नहीं करेगा।
“अमेरिका ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है — अविश्वसनीय और अवसरवादी।”
“अब रूस और चीन की ओर बढ़ेगा भारत”
ज़कारिया ने कहा कि इस फैसले के चलते भारत अब अपनी रणनीतिक प्राथमिकताएं बदल सकता है।
“भारत अब रूस और चीन के साथ संबंधों को और मज़बूत करने की दिशा में कदम बढ़ा सकता है।”
“दो दशक की मेहनत पर पानी फेर रहे ट्रंप” — ग्रेगरी मीक्स
अमेरिकी कांग्रेस सदस्य ग्रेगरी मीक्स ने भी खुलकर विरोध जताया। उनका कहना है कि भारत-अमेरिका संबंधों को मज़बूत करने में दो दशक लगे, लेकिन ट्रंप के एक फैसले ने इस साझेदारी की नींव को हिला दिया है।
अर्थशास्त्री जेफरी सैक्स ने भी कहा:
“ये एक राजनीतिक मूर्खता है — अमेरिका अपनी खुद की विदेश नीति को कमजोर कर रहा है।”
निक्की हेली भी खफा — “ये वॉशिंगटन की बड़ी भूल”
रिपब्लिकन पार्टी की वरिष्ठ नेता और भारतवंशी निक्की हेली ने भी भारत पर लगाए गए टैरिफ को ‘गलत और चिंताजनक’ करार दिया। उन्होंने कहा कि इससे दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी में दरार आ सकती है।
भारत पर क्यों गिरी ये टैरिफ गाज?
ट्रंप प्रशासन का तर्क सुनकर कोई भी सिर पकड़ ले। अमेरिका का कहना है कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है, इसीलिए वह यूक्रेन युद्ध में “अप्रत्यक्ष” रूप से रूस की मदद कर रहा है।
भारत ने इस पर दो टूक जवाब दिया है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा:
“ये फैसला नासमझी भरा है। अगर तेल खरीदने की बात है, तो चीन हमसे कई गुना ज्यादा तेल रूस से खरीदता है। फिर अमेरिका उसे क्यों नहीं रोकता?”