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बिहार में NDA की रणनीति: ‘बड़ा भाई-छोटा भाई’ नहीं, अब सब साथ, सब बराबर!

उपराष्ट्रपति चुनाव में एकजुटता की मिसाल पेश करने के बाद, अब एनडीए ने बिहार की रणभूमि में कमर कस ली है। चुनाव की तैयारियां तेज़ हो चुकी हैं, हालांकि सीटों का अंतिम बंटवारा अभी बाकी है।

इस बार भाजपा ने अपने रुख को एकदम साफ़ कर दिया है—दबाव की नहीं, ताकत की राजनीति होगी। गठबंधन में कोई बड़ा या छोटा भाई नहीं रहेगा, हर दल को उसकी शक्ति और सियासी पकड़ के अनुसार सम्मान मिलेगा।

सूत्रों के मुताबिक़, इस महीने के अंत तक सीट शेयरिंग पर अंतिम निर्णय हो सकता है। भाजपा नेतृत्व ने सभी सहयोगियों को आश्वस्त किया है कि फॉर्मूला तय है: जिसकी जितनी ताकत, उतनी सीटें। इस बार सीट बंटवारे में सामाजिक, राजनीतिक और क्षेत्रीय समीकरणों के साथ-साथ विपक्ष की चालों को भी ध्यान में रखा जाएगा।

लोजपा (रामविलास), जो पिछली बार एनडीए से अलग थी लेकिन लोकसभा में शानदार प्रदर्शन कर चुकी है, उसे इस बार ज्यादा सीटें मिलने के आसार हैं। वहीं हम और रालोसो जैसे दलों को भी उनके प्रभाव के अनुसार हिस्सेदारी दी जाएगी।

अब सभी की निगाहें हैं सीट शेयरिंग के औपचारिक ऐलान पर—जो ये तय करेगा कि बिहार का चुनावी मैदान किसके लिए कितना खुला रहेगा।

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