छत्तीसगढ़ में तीसरी नेशनल लोक अदालत संपन्न, 47 लाख से अधिक प्रकरणों का हुआ निराकरण

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य में वर्ष 2025 की तृतीय नेशनल लोक अदालत का सफल आयोजन हुआ। इस अवसर पर मुख्य न्यायाधिपति रमेश सिन्हा, जो छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति और छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक भी हैं, ने बिलासपुर उच्च न्यायालय में गठित दोनों खंडपीठों के पीठासीन न्यायाधीशों—न्यायमूर्ति रजनी दूबे एवं न्यायमूर्ति दीपक कुमार तिवारी—के साथ चर्चा की और कार्यवाहियों का जायजा लिया।
मुख्य न्यायाधिपति ने जिला एवं सत्र न्यायालय बिलासपुर का भौतिक निरीक्षण भी किया, वहीं राज्यभर के अन्य न्यायालयों की कार्यवाही का वर्चुअल माध्यम से अवलोकन किया। उन्होंने सभी जिलों के प्रधान जिला न्यायाधीशों के साथ संवाद कर उन्हें अधिक प्रकरणों के निराकरण हेतु मार्गदर्शन और प्रोत्साहन दिया।
इस पहल से न केवल लोक अदालतों के पीठासीन अधिकारी, सदस्य एवं पक्षकार प्रेरित हुए, बल्कि न्याय प्रक्रिया के प्रति आमजन में विश्वास भी बढ़ा। यह पहल लोक अदालत की विश्वसनीयता और प्रामाणिकता को और सुदृढ़ करती है।
लोक अदालतों का आयोजन न्याय को शीघ्र, सुलभ और सस्ता बनाने के उद्देश्य से किया जाता है, जहाँ आपसी सहमति से विवादों का समाधान होता है। ऐसे मामलों में अपील का प्रावधान नहीं होता, और वादियों को संपूर्ण न्याय शुल्क वापस किया जाता है।
इस बार छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में गठित दो खंडपीठों में कुल 134 प्रकरणों का निराकरण किया गया, जिनमें 2.7 करोड़ रुपये का अवार्ड पारित हुआ।
पूरे राज्य में, 13 सितंबर 2025 को आयोजित इस नेशनल लोक अदालत के दौरान, उच्च न्यायालय से लेकर तालुका और राजस्व न्यायालयों तक कुल 47,02,692 मामलों का निराकरण हुआ और लगभग 739.49 करोड़ रुपये का अवार्ड पारित किया गया। वर्चुअल माध्यम और मोबाइल वैन जैसे तकनीकी नवाचारों के माध्यम से अधिक से अधिक पक्षकारों को जोड़ा गया।
मुख्य न्यायाधिपति रमेश सिन्हा ने इस सफलता में योगदान देने वाले कार्यपालक अध्यक्ष न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल, अध्यक्ष न्यायमूर्ति पार्थ प्रतीम साहू, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीशों, लोक अदालत खंडपीठों के न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं, पक्षकारों और सभी हितधारकों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस लोक अदालत को ऐतिहासिक सफलता दिलाई।




