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अटलजी की ‘हिरोशिमा की पीड़ा’ छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में हुआ शामिल

रायपुर

भारतरत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटलबिहारी वाजपेयी की मशहूर कविताएं अब छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चे गुनगुनाएंगे। अटल जी के जीवन परिचय और कविता को पहली बार छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। राज्य सरकार के निर्देशानुसार राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद  (एससीईआरटी) ने पूर्व प्रधानमंत्री की कविता को कक्षा आठवीं की हिन्दी पुस्तक में शामिल कर लिया है।

सत्र 2019-20 से आठवीं की हिन्दी पुस्तक के अंतिम पाठ में अटलबिहारी वाजपेयी की कविता ‘हिरोशिमा की पीड़ा’ बच्चों को पढ़ाई जाएगी। अटलबिहारी वाजपेयी ने जापान के हिरोशिमा, नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बम की त्रासदी पर ‘हिरोशिमा की पीड़ा’ नामक कविता लिखी थी। गौरतलब है कि अटलबिहारी वाजपेयी के निधन के बाद राज्य सरकार ने उनकी कविताओं व जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए निर्देश दिए थे ।

ऐसे पीड़ा बयां करती है कविता

अटल जी की ‘हिरोशिमा की पीड़ा’ कविता देखें – किसी रात को मेरी नींद अचानक उचट जाती है …,आंख खुल जाती है …, मैं सोचने लगता हूं कि जिन वैज्ञानिकों ने अणु अस्त्रों का आविष्कार किया था.., वे हिरोशिमा-नागासाकी के भीषण नरसंहार के समाचार सुनकर रात को कैसे सोए होंगे ? भारतरत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी की यह कविता कौन नहीं जानता है।

क्या बोले थे अटल जी, जब पाकिस्तान में दागे गए थे सवाल

‘हिरोशिमा की पीड़ा’ लिखने वाले राजनेता और कवि वाजपेयी को मई, 1998 में परमाणु परीक्षण करने के बाद 21 फरवरी 1999 को लाहोर में पाकिस्तान के कुछ लोगों ने बौखलाहट में सवाल किया था। तब अटलबिहारी वाजपेयी ने कहा था- ‘मेरी कविता का शीर्षक था ‘हिरोशिमा की पीड़ा’ एक शायर के दिल की पीड़ा थी।

इसलिए जब एक गंभीर फैसला किया गया, तब भी मेरा दिमाग साफ था और आज भी साफ है। हमें मिलकर एटमी वेपंस फ्री वर्ल्ड का निर्माण करना होगा। हम एटमी हथियारों को काम में लाएं, इसका तो सवाल ही पैदा नहीं होता, लेकिन इसके लिए दोस्ती का माहौल चाहिए।

इस वैश्विक घटना की याद दिलाएगी कविता

अटल जी की कविता छह अगस्त, 1945 को जापान के हिरोशिमा पर पहला परमाणु बम गिराये जाने की तबाही की याद दिलाएगी। तब परमाणु बम के धमाके के बाद हिरोशिमा में 13 वर्ग किलोमीटर के इलाके में तबाही मच गई थी। एक झटके में हजारों लोग मौत के घाट उतर गए। कई अपाहिज हो गए। इस परमाणु बम की त्रासदी लोग आज भी झेल रहे हैं। सालों तक पीढ़ी दर पीढ़ी अपंग हो रही है।

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