बस्तर की माटी से निकली कलाओं की चमक – बेटियों ने रचा इतिहास

रायपुर। जगदलपुर में आयोजित राज्य स्तरीय कला उत्सव ‘समृद्धि और उद्भव 2025’ में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, शंकरगढ़ की बेटियों ने साबित कर दिया कि सृजनशीलता और समर्पण से कोई भी मंच छोटा नहीं होता।
निहारिका नाग, जिन्होंने बचपन से मिट्टी और लकड़ी से खेलने की बजाय उनमें जान फूंकने की कला सीखी, ने मूर्तिकला प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल कर बलरामपुर-रामानुजगंज जिले का सिर गर्व से ऊँचा कर दिया। उनका कहना है –
“जब बच्चे खेल में व्यस्त थे, तब मैं अपने सपनों की आकृतियाँ गढ़ रही थी।”
शिक्षकों के मार्गदर्शन और खुद के समर्पण ने उन्हें इस ऊँचाई तक पहुँचाया।
वहीं, प्रतिभा ने लोकल क्राफ्ट प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्त कर पारंपरिक लोककला को आधुनिक अभिव्यक्ति दी। उनके द्वारा प्रदर्शित काष्ठकला और ग्रामीण जीवन की झलक ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। प्रतिभा कहती हैं –
“परंपरा को आधुनिकता से जोड़ना ही मेरी कला का सार है।”
इन दोनों छात्राओं की मेहनत और लगन ने यह सिद्ध कर दिया कि अगर मार्गदर्शन सही हो, तो गाँव की गलियों से भी अंतरराष्ट्रीय मंचों तक की राह निकलती है।
विद्यालय, जिला प्रशासन और अभिभावकों की ओर से बेटियों को ढेरों शुभकामनाएं — आज उन्होंने न सिर्फ पुरस्कार जीते, बल्कि पूरे जिले को गौरव और प्रेरणा दी।



