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दशहरा उत्सव में आस्था, परंपरा और विकास का संदेश, 103 फीट ऊँचे रावण दहन ने खींची हजारों की भीड़

राजधानी रायपुर की डब्ल्यू.आर.एस. कॉलोनी में 55वीं बार भव्य दशहरा उत्सव का आयोजन परंपरा और आस्था के साथ हुआ। विशाल मैदान में आयोजित इस ऐतिहासिक आयोजन में राज्यपाल रमेन डेका, राज्य की प्रथम महिला रानी डेका काकोटी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय विशेष रूप से शामिल हुए।

राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ अब नक्सलवाद से उबरकर शांति और विकास की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुँचाना ही असली प्रगति है, और यही महात्मा गांधी का सपना भी था। विजयादशमी का संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि केवल रावण का पुतला जलाना पर्याप्त नहीं, बल्कि भीतर के रावण—काम, क्रोध, लोभ, ईर्ष्या और अहंकार—का भी अंत जरूरी है।

गांधी जयंती का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि दशहरा जहाँ बुराई के अंत की शिक्षा देता है, वहीं गांधी जयंती सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाती है। दोनों पर्व मिलकर प्रेम, शांति और भाईचारे की भावना को जन्म देते हैं।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भगवान राम, माता सीता और सनातन धर्म के जयकारों के साथ सभा को विजयादशमी की शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि रावण के पास मेघनाद और कुंभकरण जैसे योद्धा थे, जबकि राम के साथ साधारण वानर सेना थी, फिर भी जीत सत्य की हुई।

कृषि मंत्री राम विचार नेताम ने भी उत्सव को संबोधित किया। स्वागत भाषण विधायक पुरंदर मिश्रा ने दिया, जबकि आयोजन समिति के अध्यक्ष जी. स्वामी ने आभार प्रकट किया।

उत्सव का मुख्य आकर्षण रहा 103 फीट ऊँचा रावण का पुतला, जिसका दहन रंगीन आतिशबाजी के साथ हुआ। हजारों दर्शकों ने इस भव्य दृश्य का आनंद लिया। समारोह में अनेक जनप्रतिनिधि और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

समापन पर अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। समिति की सदस्य सरस्वती मिश्रा ने प्रथम महिला रानी डेका काकोटी को विशेष स्मृति चिन्ह प्रदान किया।

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