पुतिन की भारत यात्रा: आर्कटिक में भारत-रूस की जोड़ी चीन को देगी चुनौती!

दिसंबर में भारत दौरे पर आने वाले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस बार ‘आर्कटिक मिशन’ के एजेंडे के साथ आ सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, भारत और रूस की इस मुलाक़ात में आर्कटिक क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी, संसाधनों का संयुक्त विकास और नॉर्दर्न सी रूट (NSR) को लेकर अहम फैसले हो सकते हैं।
आर्कटिक, जो प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर और भू-राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहम है, अब भारत और रूस की संयुक्त रणनीति का केंद्र बन रहा है। वहीं, इस कदम से चीन की ‘आर्कटिक महत्वाकांक्षा को सीधी चुनौती मिलने जा रही है।
NSR: रूस का वैकल्पिक समुद्री रास्ता
नॉर्दर्न सी रूट, जो रूस के उत्तरी तट से होकर गुजरता है, यूरोप और एशिया को जोड़ने वाला सबसे तेज़ और सस्ता समुद्री मार्ग बन सकता है। भारत और रूस इस मार्ग को व्यावसायिक और रणनीतिक रूप से विकसित करने के लिए साझेदारी को और मज़बूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
चीन की घेराबंदी की तैयारी
पुतिन चाहते हैं कि भारत को आर्कटिक काउंसिल में ज्यादा प्रभावशाली बनाया जाए, ताकि चीन की वहां बढ़ती गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके। fossil fuel और critical minerals से समृद्ध यह क्षेत्र चीन के लिए जितना आकर्षक है, भारत-रूस के लिए उतना ही रणनीतिक।
NSR से चाबहार तक: बड़ा भू-राजनीतिक प्लान
NSR को चाबहार बंदरगाह से जोड़ने की योजना पर भी तेजी से काम चल रहा है। इससे रूस को हिंद महासागर तक सीधी पहुंच मिलेगी, वहीं भारत को चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का कूटनीतिक जवाब देने का मौका मिलेगा।