छत्तीसगढ़ में परंपरागत वैद्य सम्मेलन: स्वास्थ्य की प्राचीन धरोहर को मिली नई ताकत

रायपुर। राजधानी रायपुर में आयोजित छत्तीसगढ़ आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड के राज्य स्तरीय परंपरागत वैद्य सम्मेलन में परंपरागत चिकित्सा की समृद्ध विरासत को नए अवसर मिले। इस कार्यक्रम में प्रदेशभर से वैद्यों ने हिस्सा लिया और स्थानीय औषधीय पौधों के संरक्षण एवं उपयोग पर चर्चा की गई।
सम्मेलन के मुख्य वक्ताओं ने राज्य सरकार की पहल का स्वागत किया, जिसमें पंजीकृत वैद्यों को प्रशिक्षण और पंजीयन प्रमाण पत्र प्रदान कर उनके अधिकारों और सुविधाओं को सुनिश्चित करने की योजना शामिल है। इस कदम से वैद्य वर्ग को दस्तावेज़ीकरण की बाधाओं से मुक्त कर आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण मिलेगा।
कार्यक्रम में औषधीय पौधों की प्रदर्शनी ने सबका ध्यान खींचा, जहाँ छत्तीसगढ़ के हर्बल स्टेट होने की विशेष पहचान के बारे में बताया गया। प्रदेश में औषधीय पौधों की विविधता और जामगांव स्थित अर्क निर्माण कारखाने को भी प्रदर्शनी में प्रमुखता मिली।
सम्मेलन में परंपरागत चिकित्सा के महत्व पर जोर देते हुए बताया गया कि भारत में हजारों वैद्य सक्रिय हैं और छत्तीसगढ़ में 1500 से अधिक परंपरागत वैद्य अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ये वैद्य न केवल मानव स्वास्थ्य बल्कि पशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी अमूल्य योगदान देते हैं।
सम्मेलन में वैद्य समुदाय के लिए रोजगार सृजन, प्रशिक्षण, संरक्षण और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए कई योजनाओं का भी उल्लेख किया गया। नवरत्न योजना के तहत औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने और संरक्षण के लिए विशेष प्रयास हो रहे हैं।
वैद्य समुदाय के सदस्यों ने शपथ ली कि वे अपने कर्तव्य के प्रति सत्यनिष्ठ और गोपनीय रहेंगे। कार्यक्रम के अंत में 25 वैद्यों को कच्ची औषधीय पिसाई मशीनें भी वितरित की गईं।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा प्रकाशित डॉ. देवयानी शर्मा की पुस्तक का विमोचन भी हुआ, जिसमें स्थानीय वैद्यों द्वारा संरक्षित पारंपरिक उपचार पद्धतियों और औषधीय पौधों का संकलन है।




