ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में पाकिस्तान की आक्रामक लॉबिंग सफल — टैरिफ में राहत, व्हाइट हाउस तक बढ़ा प्रभाव

भारत से रणनीतिक बढ़त हासिल करने की कोशिश में पाकिस्तान किसी भी हद तक जाने को तैयार नजर आया है। वैश्विक छवि हो या घरेलू कीमत—पाकिस्तान की प्राथमिकता सिर्फ एक थी: वॉशिंगटन में अपना प्रभाव बढ़ाना और ट्रंप प्रशासन को अपने पक्ष में करना।
लाल कालीन कूटनीति और टैरिफ में बड़ी राहत
ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में पाकिस्तान ने अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ अपने समीकरण बेहतर करने के लिए खुलकर पैसा बहाया। ट्रंप परिवार के लिए विशेष स्वागत से लेकर महंगे रक्षा और व्यापारिक सौदों तक—इस कूटनीति का सीधा परिणाम रहा पाकिस्तान पर अमेरिकी टैरिफ में कटौती।
जहां पहले ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान पर 29% टैरिफ लगाया था, वहीं पाकिस्तान की लगातार लॉबिंग के बाद इसे 19% तक घटा दिया गया। इसके उलट भारत पर रूस से तेल खरीदने का आरोप लगाते हुए 50% टैरिफ बढ़ा दिया गया, जिससे भारत-अमेरिका रिश्तों में तनाव दिखा।
लॉबिंग में पाकिस्तान ने झोंका धन
अमेरिकी न्याय विभाग में दर्ज दस्तावेजों के मुताबिक, पाकिस्तान ने अप्रैल और मई 2025 के दौरान लॉबिंग पर भारत से तीन गुना अधिक पैसा खर्च किया।
इस अवधि में पाकिस्तान ने ट्रंप के पूर्व बिजनेस पार्टनर और सुरक्षा प्रमुख समेत कई प्रभावशाली लॉबिस्टों को नियुक्त किया। इसका फायदा भी मिला—वॉशिंगटन में पाकिस्तान की पकड़ मजबूत होती गई।
ऑपरेशन सिंदूर और नोबेल नामांकन की कहानी
युद्धविराम के समय पाकिस्तान ने ट्रंप को मध्यस्थ बताते हुए युद्धविराम का श्रेय तक दे दिया और उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित भी कर दिया।
हालांकि, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे सिरे से खारिज किया और स्पष्ट किया कि “अमेरिका की इस प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं थी।”
रेयर अर्थ खनिज डील से बढ़ी नज़दीकियां
चीन-अमेरिका तनाव के बीच पाकिस्तान ने अवसर भांपते हुए अमेरिका के साथ 50 करोड़ डॉलर की रेयर अर्थ मिनरल डील की।
न सिर्फ समझौता हुआ, बल्कि पाकिस्तान ने नमूना खेप भी अमेरिका भेज दी।
इसके अलावा, पाकिस्तान ने अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए बाजार खोल दिए—एक ऐसा कदम जिसे ट्रंप प्रशासन लंबे समय से भारत से मांग रहा था।
चीन द्वारा अमेरिकी सोयाबीन खरीद रोके जाने के बाद यह पाकिस्तान का झुकाव वॉशिंगटन के लिए और “क़ीमती” साबित हुआ।
विल्सन सेंटर के पूर्व निदेशक का बड़ा दावा
माइकल कुगेरमैन के अनुसार, पाकिस्तान ने छह अमेरिकी फर्मों से करीब 50 लाख डॉलर का करार किया।
उनका कहना है कि “आक्रामक लॉबिंग ने पाकिस्तान को वो पहुंच दिलाई जिसकी वह लंबे समय से कोशिश कर रहा था।”
व्हाइट हाउस में प्राइवेट लंच — बढ़ते रिश्तों की मिसाल
लॉबिंग का ही परिणाम था कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति ट्रंप के साथ निजी लंच का निमंत्रण मिला।
ट्रंप ने उन्हें “अपना पसंदीदा फील्ड मार्शल” तक कह दिया—यह वही ट्रंप हैं जिन्होंने अपने पहले कार्यकाल में पाकिस्तान को “झूठ और धोखे से भरा देश” कहा था।



