‘वंदे मातरम्’ विवाद पर संसद में सियासी संग्राम, अमित शाह ने राज्यसभा में सौंपी उन नेताओं की लिस्ट जिन्होंने राष्ट्रगीत का किया अपमान

देश के राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने पर संसद में चल रही विशेष चर्चा के दौरान मंगलवार को राजनीतिक तापमान बढ़ गया। राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बीच इस विषय पर तीखी बहस हुई।
लोकसभा में पीएम नरेंद्र मोदी ने बहस की शुरुआत करते हुए कहा था कि कांग्रेस ने अतीत में मुस्लिम लीग और मोहम्मद अली जिन्ना के दबाव में ‘वंदे मातरम्’ को उपेक्षित किया। उन्होंने कहा कि जब बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखा यह गीत आज़ादी के आंदोलन की प्रेरणा बन गया था, तब कांग्रेस ने राजनीतिक दबाव में झुकाव दिखाया था।
इसके बाद मंगलवार को राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कुछ विपक्षी नेता और सांसद पहले भी ‘वंदे मातरम्’ का अपमान कर चुके हैं। शाह ने बहस के दौरान इन घटनाओं का जिक्र किया, जिस पर कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने उनसे सबूत मांगे।
जवाब में अमित शाह ने राज्यसभा के सभापति को एक विस्तृत लिखित सूची सौंपी, जिसमें 9 नेताओं के नाम शामिल हैं, जिन्होंने अलग-अलग मौके पर ‘वंदे मातरम्’ गाने या उसके सम्मान में हिस्सा लेने से इनकार किया था।
इन नेताओं के नाम और घटनाएं
- 08 दिसंबर 2025: कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने धर्म का हवाला देकर ‘वंदे मातरम्’ गाने से इनकार किया।
- 08 दिसंबर 2025: नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता आगा सैयद मेहदी ने संसद चर्चा के दौरान गीत न गाने का निर्णय लिया।
- 2019: सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने लोकसभा शपथ ग्रहण के दौरान ‘वंदे मातरम्’ नहीं गाया।
- 2025: उनके पोते जियाउर्रहमान बर्क ने सार्वजनिक रूप से इस रुख का समर्थन किया।
- 2018: एक कांग्रेस रैली में ‘वंदे मातरम्’ का केवल पहला छंद गाया गया, जबकि बाकी भाग राहुल गांधी के आगमन तक रोक दिया गया।
- 2019: एमपी कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने धार्मिक कारणों से राष्ट्रगीत गाने से इंकार कर दिया।
- 2022: कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने संविधान दिवस कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं को ‘वंदे मातरम्’ न गाने की सलाह दी।
- 2025: समाजवादी पार्टी ने महाराष्ट्र के स्कूलों में इसे अनिवार्य करने के फैसले पर आपत्ति जताई।
- 2025: आरजेडी विधायक सऊद आलम विधानसभा सत्र के दौरान राष्ट्रगीत के समय खड़े नहीं हुए।
अमित शाह ने आग्रह किया कि इन घटनाओं का रिकॉर्ड राज्यसभा के आधिकारिक दस्तावेज़ों में शामिल किया जाए, ताकि इतिहास में यह दर्ज रहे कि किन नेताओं ने राष्ट्रगीत के सम्मान पर विवाद खड़ा किया।



