2026 से पहले ही बंगाल की सियासत में उबाल, फलोदी सट्टा बाजार के ‘भाव’ ने बढ़ाई हलचल

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2026 अभी वक्त की दहलीज पर हैं, लेकिन राजनीति का पारा अभी से चढ़ने लगा है। तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर के संकेत मिल रहे हैं। इसी सियासी गर्मी के बीच राजस्थान के फलोदी सट्टा बाजार की एंट्री ने चर्चाओं को और तेज कर दिया है।
सोशल मीडिया और कुछ स्थानीय चैनलों पर चल रहे दावों के मुताबिक फलोदी सट्टा बाजार बंगाल की सत्ता को लेकर बड़े उलटफेर का इशारा कर रहा है। कहा जा रहा है कि 294 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी को करीब 180 सीटें मिल सकती हैं, जबकि ममता बनर्जी की टीएमसी 114 सीटों तक सिमट सकती है। बहुमत का आंकड़ा 148 है, ऐसे में इन भावों के आधार पर ममता की राह आसान नहीं बताई जा रही।
फलोदी सट्टा बाजार हर बड़े चुनाव से पहले सुर्खियों में आता है। इसके अनुमान कई बार सही बैठे हैं, तो कई बार सवालों के घेरे में भी आए हैं। यही वजह है कि लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव तक इसके ‘भाव’ राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन जाते हैं। हालांकि, जानकार मानते हैं कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, ये भाव कई बार बदल सकते हैं।
फलोदी सट्टा बाजार कोई आधिकारिक या मान्यता प्राप्त संस्था नहीं है। यह एक अनौपचारिक और अवैध नेटवर्क माना जाता है, जहां राजनीति, चुनाव, बजट, खेल और मौसम तक पर दांव लगाए जाते हैं। सटोरिए मीडिया रिपोर्ट, रैलियों की भीड़, जमीनी फीडबैक और अपने नेटवर्क के आधार पर अनुमान लगाते हैं।
कानून साफ कहता है कि सट्टेबाजी अवैध है और चुनावी नतीजे सिर्फ वोटिंग और मतगणना से तय होते हैं। चुनाव आयोग और गृह मंत्रालय भी बार-बार यह स्पष्ट कर चुके हैं कि ऐसे बाजारों के दावे आधिकारिक भविष्यवाणी नहीं माने जा सकते।
फिलहाल, बंगाल की सियासत में फलोदी के भावों ने नई बहस छेड़ दी है। अब देखना होगा कि 2026 में जनता का फैसला इन अनुमानों से कितना मेल खाता है।



