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औद्योगिक संस्थान उद्योग एवं पुनर्वास नीति का कड़ाई से करें पालन : भूपेश बघेल

रायपुर

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में लगने वाले औद्योगिक संस्थान सुनिश्चित करें कि उद्योग नीति और पुनर्वास नीति का कड़ाई से पालन हो, जिससे अधिग्रहण के समय जमीन के मालिकों को मुआवजा के रूप में समुचित राशि मिले. साथ ही नियमानुसार प्रभावित परिवार के सदस्यों को योग्यता और पात्रतानुसार नौकरी भी मिले. मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि प्रभावित परिवार में सदस्यों के पास वांछित योग्यता या कौशल में कोई कमी है, तो संस्थान द्वारा समुचित तकनीकी एवं कौशल का प्रशिक्षण देकर उन्हें योग्य बनाए और नौकरी प्रदान करें.

मुख्यमंत्री आज यहां अपने निवास पर राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) की रायगढ़ लारा ताप विद्युत परियोजना की प्रगति की समीक्षा कर रहे थे. उन्होंने कहा कि परियोजना में कोयला, पानी, जमीन छत्तीसगढ़ का है, ऐसा नहीं होना चाहिए कि परियोजना से प्रभावित राज्य के लोगों को अपने हक के लिए आवाज उठाने पर जेल जाना पड़े. उन्होंने ऐसे लोगों के खिलाफ प्रकरण वापस लेने के निर्देश भी दिए. उन्होंने कहा कि अधिकारियों से कहा कि वे प्रभावित एवं पात्र लोगों को उनका हक दिलाये जिससे उन्हें न्याय मिल सके.

बैठक में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग के मंत्री जयसिंह अग्रवाल, मुख्य सचिव सुनील कुजूर, राजस्व, आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास के सचिव एनके खाखा, कलेक्टर यशवंत कुमार सहित एनटीपीसी के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक (सीएमडी) गुरुदीप सिंह तथा अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे.

मुख्य सचिव ने एनटीपीसी के अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे रायगढ़ जिले और प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए कार्य करें. उन्होंने प्रावधान के अनुसार प्रभावित परिवार के सदस्यों को नौकरी दिलाने तथा मुआवजा की लंबित राशि का भुगतान शीघ्र करने को कहा. उन्होंने सीएसआर के माध्यम से भी लोक कल्याण के कार्य संचालित करने के भी निर्देश दिए. बैठक में मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने भी अपनी बात रखी तथा राजस्व, आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास के सचिव एनके खाखा ने इस संबंध में उठाए गए कदमों की जानकारी दी.

एनटीपीसी के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक (सीएमडी) गुरुदीप सिंह ने जानकारी दी गयी कि सुपर क्रिटिकल तकनीकी पर आधारित एनटीपीसी की लारा परियोजना में 800 मेगावॉट क्षमता की दो इकाईयां निर्माणाधीन हैं. इसमें रायगढ़ जिले के नौ गांव आरमुड़ा, बोड़ाझरिया, छपोरा, देवलसुर्रा, झिलगीटार, कांदागढ़, लारा, महलोई एवं रियापाली के कुल 780 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की गई है, जिसमें प्रभावित किसानों की संख्या 2449 है. उन्होंने कहा कि परियोजना से प्रभावित एवं विस्थापित सभी किसान परिवारों को पुनर्वास नीति में उल्लेखित सभी प्रकार की सुविधाएं एवं अवसर मुहैया कराये जाएंगे. मुआवजा के लिए 187 करोड़ रूपए की अवार्ड राशि पारित की गई थी, जिसमें से 1816 किसानों को 117 करोड़ रूपए की राशि प्रदान की जा चुकी है.

उन्होंने बताया कि यह संयंत्र छत्तीसगढ़ राज्य का पहला 800 मेगावॉट का संयंत्र है. यह कार्य कुशल एवं कम प्रदूषण की तकनीक से युक्त संयत्र है. इससे बिजली उत्पादन का 50 प्रतिशत हिस्सा छत्तीसगढ़ राज्य को मिलेगा. इसके 800 मेगावॉट की प्रथम इकाई का 72 घंटे का ट्रायल इस माह की 2 तारीख को सफलतापूर्वक पूर्ण किया गया. इस इकाई का कमर्शियल आपरेशन मार्च 2019 में प्रस्तावित है. इसके अलावा यूनिट 2 के वाइलर लाईटअप के कमिश्निंग का कार्य भी जून 2019 में प्रस्तावित है.

मुख्यमंत्री के निर्देश पर एन.टी.पी.सी. के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक रायगढ़ जिले के पुसौर के औद्योगिक प्रशिक्षण केन्द्र (आई.टी.आई) का उन्नयन करने, वहां अच्छी लैब स्थापित कराने और प्रशिक्षण के लिए दक्ष मानव संसाधन उपलब्ध कराने की सहमति दी. उन्होंने बताया कि लारा ताप विद्युत परियोजना के परिसर में एक अस्पताल और स्कूल संचालित किया जाएगा, जिसका लाभ उस क्षेत्र के निवासियों को मिलेगा. उन्होंने बताया कि प्रभावित किसानों में से 470 व्यक्तियों को प्लांट में कार्यरत विभिन्न ठेका कम्पनियों में कामगार के रूप में रोजगार उपलब्ध कराया गया है. इसके अलावा जिले के अन्य क्षेत्र के 425 व्यक्तियों तथा जिले से बाहर छत्तीसगढ़ के 111 व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है.

बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य में कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) मद की राशि के सदुपयोग को बढ़ावा देने और उसके बेहतर समन्वय के माध्यम से लोगों को लाभान्वित करने की दृष्टि से संबंधित उद्योगों एवं प्रशासनिक अधिकारियों की समिति बनाकर कार्य करने को कहा. उन्होंने यह भी कहा कि सी.एस.आर. फण्ड से अच्छा कार्य करने वाले औद्योगिक संस्थाओं को राज्य शासन द्वारा सम्मानित भी किया जाएगा. उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रारंभ की गई ’’नरवा, गुरूवा, घुरूवा, बाड़ी’’ परियोजना तथा इसके माध्यम से जल स्त्रोत के रिचार्ज करने, गौठानों के माध्यम से पशु संर्वधन करने में भी इस मद का उपयोग करने को कहा. उन्होंने अधिकारियों से ऐसे कार्य करने को कहा जिससे प्रभावित लोगों के जीवन स्तर को उन्नत बनाया जा सके और जिससे उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सके.

बैठक में एनटीपीसी के क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक हरबंश सिंह, महाप्रबंधक मानव संसाधन  एके  झा, जिला प्रशासन रायगढ़ के अधिकारियों सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे.

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