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मध्यप्रदेश के सभी बड़े शहरों में कांग्रेस के पास लोकसभा का मज़बूत उम्मीदवार नहीं

घटना मध्यप्रदेश की बिजनेस कैपिटल इंदौर एयरपोर्ट की है. नेता दिग्विजय सिंह अपने स्पेशल प्लेन का इंतजार कर रहे थे. उसी दौरान वो कांग्रेस नेताओं की भीड़ में इंदौर से कौन उम्मीदवार होना चाहिए इस पर रायशुमारी भी करते जा रहे थे. पांच से सात उम्मीदवारों के नाम उन्होंने लिए और कहा नेता अपनी राय उनके कान में बताएं. इसी बीच वे कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष विनय बाकलीवाल से बोले, तुम चुनाव लड़ोगे ? बाकलीवाल ने हां कहा. उसी वक्त मुख्यमंत्री कमलनाथ का फोन दिग्विजयसिंह के मोबाइल पर आया. दिग्विजय सिंह ने उनसे कहा-इंदौर से विनय को चुनाव लड़वा दें ? कमलनाथ ने जवाब दिया- नहीं , जीतने वाला केंडिडेट नहीं है. इस पर दिग्विजय ने कहा, स्पीकर ऑन है. कमलनाथ ने जवाब दिया,- अच्छा केंडिडेट है. इस पर वहां मौजूद सभी कांग्रेसी हंसने लगे.

टिकट के लिए कतार
दरअसल यह पूरी घटना हंसी, ठिठौली या मसखरी की नहीं. बल्कि इस बात की तस्दीक कर रही है कि विधानसभा चुनाव जीत कर सत्ता में आ चुकी कांग्रेस की हालत शहरों में कितनी खराब है. मध्यप्रदेश के सभी बड़े शहरों में कांग्रेस के पास लोकसभा का मज़बूत उम्मीदवार नहीं है. टिकट मांगने वालों की कतार लग रही हैं, लेकिन जो दमदारी से भाजपा का मुकाबला कर चुनाव जीत सके ऐसे उम्मीदवार नज़र नहीं आ रहे हैं.

कार्यकर्ताओं को उम्मीद

दिग्विजय सिंह जिन्हें मध्यप्रदेश में पार्टी वर्कर्स का नेता माना जाता हैं. उनके सामने चुनौती है – अपने किसी भी कार्यकर्ता को निराश नहीं होने देना. वे न सिर्फ प्रदेश भर के टिकट दावेदारों से मिल रहे हैं. बल्कि उनकी पूरी बात भी सुन रहे हैं. उन्हें भरोसा दिला रहे हैं कि कार्यकर्ताओं की भावनाओं के अनुसार ही उम्मीदवार तय किए जाएंगे. सबसे बड़ा मुद्दा है चुनाव जीतना है.

सलमान, करीना के नाम
एक तरफ पार्टी इंदौर से सलमान खान, आशुतोष राणा, भोपाल से करीना कपूर खान के नाम चला रही है. क्योंकि इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, जैसे शहरों में पार्टी के पास जीतने वाले उम्मीदवार नहीं है. यह लिस्ट और भी लंबी है. खंडवा, बालाघाट, टीकमगढ़, देवास, उज्जैन, शहडोल, मंडला, होशंगाबाद, आदि जगहों पर भी यही हाल है.

ख़राब रिपोर्ट कार्ड
ज़मीनी हालात देखें तो कांग्रेस के पास लोकसभा का खराब रिर्पोट कार्ड है. यहां पिछले तीन दशक से कांग्रेस अपनी ताकत खत्म कर चुकी है. सभी बड़े शहर उसके हाथ से निकल चुके हैं. इंदौर में सुमित्रा महाजन 8 बार से सांसद है. वहीं भोपाल से कैलाश जोशी और बाद में आलोक संजर ने भी कांग्रेस का रास्ता ब्लॉक किया है. यही हाल ग्वालियर, जबलपुर, विदिशा, मंदसौर का है. ये सीटें कांग्रेस, भाजपा की झोली में दे चुकी है. 2014 की मोदी लहर में कांग्रेस ने 29 में से सिर्फ दो सीटें जीती थीं. गुना – शिवपुरी से ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव जीते थे और छिंदवाड़ा से कमलनाथ. बाद में हुए उपचुनाव में कांतिलाल भूरिया ने रतलाम- झाबुआ सीट जीती.

तीन दशक से गायब
2009 के चुनाव में कांग्रेस के पास 12 सीट्स थीं. तब भी कांग्रेस, मध्यप्रदेश के बड़े शहरों में जीत के दायरे से बाहर थे. तब भी आदिवासी बहुल इलाकों और आरक्षित सीटों ने कांग्रेस को 12 सीट्स तक पहुंचाया था. अब कांग्रेस ने मिशन 20 का टारगेट रखा है. इसलिए वो अपने कई कद्दावर नेताओं को मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है.

हारे हुए नेताओं पर दांव
विधानसभा चुनाव हार चुके अजय सिंह, सुरेश पचौरी सहित पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव, मीनाक्षी नटराजन, संदीप दीक्षित के नाम की भी चर्चा है. स्वयं दिग्विजय सिंह भी चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. अजय सिंह का नाम सतना और सीधी से चल रहा है जहां कांग्रेस बुरी तरह हारी है. सुरेश पचौरी भोपाल लोकसभा की भोजपुर सीट से हारे हैं. वे होशंगाबाद से मैदान में आ सकते हैं. अरुण यादव खंडवा से चुनाव लड़ सकते हैं. लेकिन वहां बीजेपी का कब्जा है. इसी तरह मंदसौर से मीनाक्षी नटराजन का नाम है लेकिन यहां पर कांग्रेस अपना चुनावी शंखनाद करने के बाद भी विधानसभा में हार चुकी है. मीनाक्षी पिछला लोकसभा चुनाव यहां से हार चुकी हैं.

नए उम्मीदार-नए चेहरों को मौका
कांग्रेस के संगठन प्रभारी उपाध्यक्ष सी पी शेखर कहते हैं कि कांग्रेस शहरों में नई रणनीति के साथ मैदान में है. भाजपा सांसदों के खिलाफ एंटी इन्कमबेंसी का माहौल है. कांग्रेस शहरों में दमदार उम्मीदवार को टिकट देगी. जो तीन बार चुनाव हार चुके हैं ऐसे नेता लिस्ट से बाहर हैं. इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जैसे शहरों में कोई नया दमदार नाम सामने आएगा.

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