संपादकीय

दैनिक ‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय, 10 नवंबर : अपनी सरकार की हैवानियत की जांच करवाएं शिवराज

भोपाल में जो चल रहा है, उससे पता लगता है कि इंसानों के भीतर का एक हिस्सा किस तरह हिंसक है। बोलचाल में इंसान इसे हैवान कहकर यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि यह उनसे परे का कोई दूसरा है, लेकिन हकीकत यह है कि हैवान और कहीं नहीं, इंसानों के भीतर ही रहता है, और समय-समय पर वह बाहर निकलता है। भोपाल में जिस तरह दो-चार दिन में दर्जन भर से अधिक लोगों के भीतर का यह हैवान जागा है, वह हक्का-बक्का करने वाला है, और मानव मानसिकता पर अध्ययन करने वाले लोगों को इस पर काम भी करना चाहिए। 
खबरों में आ चुका है लेकिन यहां पर सिलसिलेवार पूरा मामला बताना जरूरी है। एक लड़की कोचिंग क्लास से लौटते हुए सामूहिक बलात्कार की शिकार होती है, और वह बलात्कारियों को पहचान भी लेती है, उसके मां-बाप दोनों ही भोपाल में पुलिस में हैं लेकिन उन्हें इसकी रिपोर्ट लिखाने के लिए बीस घंटे से अधिक एक थाने से दूसरे थाने घूमना पड़ता है, और इन जगहों पर वर्दी में बैठे तमाम लोगों के भीतर का इंसान सोया रहता है, और उनके भीतर का हैवान मजा करते रहता है कि जब कुछ लोगों ने इस लड़की के साथ बलात्कार किया है, तो उसे धक्के खिलाकर उसके साथ और हिंसा क्यों न की जाए। मध्यप्रदेश की राजधानी में ही कुछ लोगों की दखल से यह रिपोर्ट दर्ज होती है, तो मीडिया की पूछताछ के खिलाफ हॅंस-हॅंसकर कैमरों के सामने मजाक करते हुए रेलवे एसपी दिखती हैं, और बलात्कार पर यह हॅंसी जब चारों तरफ फैल जाती है तो मध्यप्रदेश सरकार को मजबूर होकर इस अफसर को भी हटाना पड़ता है। अब सवाल यह है कि इस रेलवे एसपी की वर्दी के भीतर तो एक महिला भी थी, लेकिन उस महिला के भीतर भी हैवान ही हॅंसते रहा, और कैमरे में दर्ज हो गया। अपने सहकर्मी पुलिस पति-पत्नी की बच्ची के साथ हुए सामूहिक बलात्कार में भी उसके भीतर के इंसान को नहीं जगाया, और मध्यप्रदेश के लिए शर्मनाक वीडियो दुनिया की बाकी जिंदगी तक के लिए दर्ज हो गया। 
लेकिन सिलसिला यहीं खत्म नहीं होता है, इस लड़की की मेडिकल जांच करने वाली दो सरकारी महिला डॉक्टरों ने यह रिपोर्ट दी कि इसके साथ बलात्कार नहीं हुआ है, और इसने अपनी सहमति और इच्छा से शारीरिक संबंध बनाए हैं। इस रिपोर्ट का हाल यह था कि इसमें इस युवती को पीडि़ता के बजाय अभियुक्त तक लिख डाला।  इसके बाद दूसरे डॉक्टरों ने जांच की, और यह पाया कि पहली रिपोर्ट गलत थी, और इस युवती के साथ बलात्कार हुआ है। 
यह हाल उस मध्यप्रदेश में है जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह दिन भर में दो सौ बार प्रदेश की लड़कियों को अपनी भांजी बताते हुए, और उनकी माताओं को अपनी बहन बताते हुए मामा बने रहते हैं, और इस मामा की सरकार का राजधानी में यह हाल है कि एक लड़की से सामूहिक बलात्कार न केवल बलात्कारी कर रहे हैं, बल्कि खाकी वर्दी पहनी हुई पुलिस कर रही है, बल्कि सफेद कोट पहने हुए डॉक्टर भी कर रहे हैं, और यह एक अकेला मामला मध्यप्रदेश और भोपाल में सरकारी कुर्सियों पर बैठे हुए लोगों के भीतर की हैवानियत की एक बहुत ही डरावनी और अनोखी मिसाल है। हमारा ख्याल है कि शिवराज सिंह को बेंगलोर के सबसे प्रतिष्ठित मानसिक चिकित्सा वाले संस्थान से एक टीम बुलानी चाहिए, और अपने पुलिस अफसरों और डॉक्टरों की न केवल जांच करवानी चाहिए, बल्कि भविष्य के लिए अपनी तमाम सरकार के लोगों का यह मानसिक प्रशिक्षण भी करवाना चाहिए कि वे अपने भीतर के हैवान को किस तरह दबाकर रखें, और इंसानियत को ऐसे वक्त पर सोने न दें। 

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