जगदलपुर ; भारतीय राष्ट्रीय सदभावना कांग्रेस संगठन के प्रदेशाध्यक्ष संजीव शर्मा ने महारानी अस्पताल सह मेडिकल कालेज् परिसर में यूरोपीय कमीशन के बजट से एक प्रायवेट पैथालाजी लेब खोले जाने का तीव्र विरोध करते हुए कहा कि सरकारी परिसर में निजी लेब खोलने की अनुमति किसने, क्यों और कैसे दी। इस समूचे मामले में जिला प्रशासन को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए।
उन्होंने जारी एक बयान में कहा कि आयुर्वेदिक अस्पताल प्रबंधन ने इस भवन को पंच कर्म के लिए इस्तेमाल करने आयुष विभाग से बाकायदा अनुमति ले ली थी। यूरोपीय कमीशन ने इस भवन को 3 साल इस्तेमाल करने के बाद सामान व प्रशिक्षित कर्मचारियों के साथ मेडिकल कालेज के लिए छोडऩे का प्रस्ताव रखा। इस बीच विशाखापटनम की प्रायवेट कंपनी अचानक इस भवन में लेब खोलने पहुंच गयी। यहां सवाल यह उठता है कि बिना एमओयू, टेंंडर प्रक्रिया, लीज, किराया अनुबंध की इन्हें अनुमति कैसे व क्यों दी गयी।
उन्होंने कहा कि अस्पताल परिसर में सरकारी सेंट्रल लेब के होते हुए उससे सटाकर निजी लेब को स्थान देने का उतावलापन आखिर क्यों, क्या सेंट्रल लेब बेकार हो गया है। दरअसल इस 700 बेड अस्पताल में 11 सौ टेस्ट रोज होते हैं और 250 प्रति टेस्ट के हिसाब से 2 लाख 70 हजार रोजाना की कमाई है, यानि एक माह में करोड़ों का खेल है। लेब 50 लाख का है, जबकि खेल करोड़ों का है। यहां तक कि प्रायवेट लेब खोलने के लिए सीएमओ आफिस से अनुमति भी नहीं ली गयी है। जब मुफ्त का भवन, लाईट, पानी, तो मुफ्त में इलाज क्यों नहीं? और अब आगे यदि किसी को आयुर्वेद का पंच कर्म करवाना हो तो, वह कहां जाएगा और क्या करेगा?
श्री शर्मा ने कहा कि इस उच्चस्तरीय षडय़ंत्र में भाजपा के किन प्रभावशालियों की मिलीभगत है, इस भ्रष्टाचार को भी उजागर करना जरूरी हो गया है, ताकि जनता के सामने दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए।
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