जगदलपुर : बस्तर में आदिवासी बाहुल्य आबादी होने के साथ-साथ अन्य लोगों में तम्बाखु, गुटखा के साथ- साथ शराब का सेवन भी बढ़ी मात्रा में किया जाता है जिसके कारण अंचल के लोगों में कैंसर को खतरा बना रहता है। हर वर्ष ऐसे कई कैंसर के मरीजों को बाहर इलाज के लिए भेजा जाता है जहां अधिक देर होने जाने से उन्हें निराशा ही हाथ लगती है।
इस संबंध में अनेकों चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि मादक पदार्थो के साथ-साथ तम्बाखु व गुटखा का सेवन करने से कैंसर का आक्रमण तो होता ही है साथ ही जागरूकता के अभाव में जब वे गंभीर रूप से ग्रसित हो जाते हंै तब उन्हें उपचार के लिए बहुत देरी हो गई और अब मुश्किल है का उत्तर सुनाकर बाहर भेजा जाता है। विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि सर्वाधिक गंभीर स्थिति तो दंतेवाड़ा, बीजापुर सहित अन्य क्षेत्रों की है जहांं के लोगों को यह भी नहीं मालुम कि कैंसर होता क्या है। इस संबध में स्थानीय जिला अस्पताल सहित मेडिकल कालेज के कुछ चिकित्सों ने अनौपचारिक चर्चा में जानकारी दी कि बस्तर में मुंह के कैंसर के मरीजों में बढ़ोत्तरी चिंतनीय रूप से हो रही है। इसके अलावा दांत और मसुढ़ो की सूजन तथा दर्द की शिकायत लेकर जब मरीज उनके पास पहुंचते है तो तब उनके मुंह में कैंसर के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। सर्वाधिक चिंतनीय स्थिति तो यह है कि आज कल बस्तर की महिलाओं में तम्बाखु व गुटखे का सेवन सहित अन्य नशीले पदार्थो का सेवन भी बढ़ रहा है। जिसके कारण आने वाले मरीजों में महिलाओं की संख्या सर्वाधिक हो रही है।
यह भी इस संबध में उल्लेखनीय तथ्य है कि जिले में कैंसर मरीजों का कोई रिकार्ड नही रखा जाता है और ना ही स्वास्थ्य विभाग के पास इस संबध में जानकारी है। कैंसर मरीजों को कैंसर के लक्षण होने पर उन्हें इलाज के लिए केवल बाहर रेफर करने का कार्य यहां होता है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा लोगों को जागरूक करने के लिए कोई उपाय नहीं किया जाता है।
Please comment