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नईदिल्ली : आधार से आतंकवाद और बैंकिंग फ्रॉड्स रोकने में मिलेगी मदद

 नई दिल्ली :  केंद्र सरकार के इस तर्क से सुप्रीम कोर्ट सहमत नहीं है कि आधार से आतंकवाद और बैंकिंग फ्रॉड्स को रोकने में मदद मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धोखाधड़ी करनेवालों के साथ बैंक अधिकारियों की साठगांठ रहती है और घोटाले इसलिए नहीं होते हैं क्योंकि अपराधियों के बारे में कोई जानकारी नहीं रहती है।
सर्वोच्च अदालत ने केंद्र के तर्क पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि महज कुछ आतंकियों को पकडऩे के लिए पूरी जनता से आधार के साथ अपने मोबाइल फोन को लिंक करने के लिए कहा जा रहा है। कोर्ट ने पूछा कि अगर अधिकारी प्रशासनिक आदेशों के जरिए नागरिकों से अपने डीएनए , सीमेन और खून के सैंपल्स को भी आधार डेमोग्राफिक्स में शामिल करने को कहें तो क्या होगा।
आपको बता दें कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच आधार की वैधता और लॉ बनाने को चुनौती देनेवाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रथम दृष्टया केंद्र के तर्क पर असहमति व्यक्त की और कहा आधार बैंकिंग फॉड्स का समाधान नहीं है।
बैंक को पता है, वह किसे लोन दे रहा है
बेंच ने कहा, धोखाधड़ी करनेवालों की पहचान को लेकर कोई संदेह नहीं है। बैंक को पता रहता है कि वह किसे लोन दे रहा है। वह बैंक अधिकारी होते हैं जो धोखाधड़ी करनेवालों के काफी करीब होते हैं। इसे रोकने के लिए आधार काफी कुछ नहीं कर सकता है। बेंच में जस्टिस ए. के. सीकरी, ए. एम. खानविलकर, डी. वाई. चंद्रचूड और अशोक भूषण भी हैं।
बेंच ने केंद्र की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल से कहा, कई आईडी होने के कारण बैंकिंग फ्रॉड नहीं होते हैं। वेणुगोपाल ने कोर्ट में कहा है कि बायोमेट्रिक्स पूरी तरह से सुरक्षित हैं और इसकी मदद से मनी लॉन्ड्रिंग, बैंक फ्रॉड्स, इनकम टैक्स की चोरी और आतंकवाद जैसी समस्याओं को सुलझाने में काफी मदद मिल सकती है।
बेंच ने कहा, आधार किसी भी शख्स को कमर्शल लेनदेन के ऑपरेटिंग लेयर्स से रोक नहीं सकता। यह बैंक फ्रॉड्स से भी नहीं रोक सकता। कोर्ट ने आगे कहा कि इससे केवल अधिकारियों को मनरेगा जैसी योजनाओं में फर्जी लाभार्थियों को पकडऩे में मदद मिल सकती है। बेंच ने कहा कि कोई व्यक्ति कई अलग-अलग संस्थाओं के जरिए मल्टी-लेयर्ड कमर्शल ट्रांजैक्शंस कर लोन आदि ले सकता है और यह गैरकानूनी भी नहीं है।
क्या आतंकी सिम कार्ड के लिए अप्लाइ करते हैं?
वेणुगोपाल ने इस पर कहा कि आधार से मोबाइल को लिंक कराने से उन आतंकियों को पकडऩे में मदद मिलेगी जो बम धमाके की साजिश रच रहे होंगे। इस पर बेंच ने उनसे कहा, क्या आतंकी सिम कार्ड के लिए अप्लाइ करते हैं? यह एक समस्या है कि आप पूरे 120 करोड़ लोगों को अपने मोबाइल फोन्स को आधार से लिंक करने को कह रहे हो क्योंकि आप कुछ आतंकियों को पकडऩा चाहते हैं।
इंटरनेट बंद करते हैं, कोई सवाल नहीं करता
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार की ओर से राष्ट्रीय हित के प्रयास हो सकते हैं लेकिन क्या कुछ लोगों को पकडऩे के लिए पूरी आबादी को आधार लिंक कराने के लिए कहा जा सकता है? बेंच ने उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार हिंसा के हालात से निपटने के लिए इंटरनेट सेवा को ठप कर देती है और कोई भी उसके अधिकार पर सवाल नहीं उठाता है, लेकिन यहां मसला सभी नागरिकों से अपने मोबाइल को आधार से लिंक कराने के लिए कहने का है।

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