जांजगीर-चांपा : असमंजस की स्थिति खत्म, सक्ति विधानसभा डॉ महंत की पहली पसंद
जांजगीर चाम्पा : पूर्व केंद्रीय मंत्री कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ चरण दास महंत 2018 में होने जा रही विधानसभा चुनाव क्षेत्र को लेकर कार्यकर्ताओ एवम समर्थकों की संसय अब लगभग ख़त्म होने जा रही है। सूत्रों का माने तो अपने गृह विधानसभा क्षेत्र सक्ति से मिशन 2018 की तैयारी की शुरूवात करनेे जा रहे है। जिले में बहुत दिनों से डॉ महंत के 2018 में होने जा रहे चुनाव में निर्वाचन क्षेत्र को लेकर अलग अलग राय सामने आ रही थी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ चरण दास महंत
कार्यकर्ता असमंजस की स्थिति में थे कि डॉ महंत अपने कोरबा लोकसभा के किसी एक विधानसभा से 2018 का चुनाव लड़ सकते है या इस बार जांजगीर चाम्पा जिले में वापसी हो सकती है। हलाकि अभी पूरी तरह स्पष्ट नही हो पाया है। लेकिन महंत का ज्यादा कार्यक्रम इसी क्षेत्र में हो रहा है। और समर्थकों की मंशा भी यही दिख रही है। पहले भी डा महंत जिले में लोकसभा व विधानसभा का चुनाव लड़ चुके है, इसलिए यह क्षेत्र डॉ महंत के लिए कोई नया जगह नही है।
महंत का ज्यादा कार्यक्रम इसी क्षेत्र में हो रहा है
डॉ महंत के सैकड़ो समर्थक इस क्षेत्र में है। वही सक्ति विधानसभा क्षेत्र में अब अपने समर्थकों के सभी कार्यकर्मो में जाना आना कर रहे है। इस बार मौके को देखते हुए जो सीट डॉ महंत थोड़ा आसान हो वही क्षेत्र की तलाश में है। सक्ति विधानसभा में उनके समर्थकों की कमी नही है ।
मुख्यमंत्री के लाइन में डॉ महंत
डॉ महंत ने अभी से यह कहा दिया है कि काग्रेस के चुनाव जीतने के बाद वे ही मुख्यमंत्री के नंबर 1 दावेदार है। और वे ही मुख्यमंत्री मंत्री बनेंगे। उनको मुख्यमंत्री मंत्री बनानेे के लिए नवरात्रि में जिले के ग्राम खोखरा में एक यज्ञ का भी कार्यक्रम भी किया गया था। जो लोगो में खूब चर्चा का विषय बना हुआ था।
राजा सुरेन्द्र बाहदुर सिंह से हो सकता है खतरा
अविभजित मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री सक्ति राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह डॉ महंत को घोर विरोधी माने जाते है। वही उन्होने पिछला विधानसभा चुनाव सक्ति से लड़ा था वे लंबे समय से क्षेत्र में सक्रिय है। वही कांग्रेस से निष्कासित होने के बाद सुरेन्द्र बाहदुर सिंह की वापसी हो गई थी पर एक काग्रेस पार्टी के बैठक में महंत समर्थक बैठक में राजा का पहुँच जाने पर खूब विरोध किये थे। ऐसे देखा जाय तो ये कोई नया नही है ,राजा और महत का छत्तीस का आंकड़ा है। हमेशा एक दूसरे का विरोधी रहे है। ऐसे में राजा को भी मौके की तलाश है कि महंत सक्ति से चुनाव लड़ते है तो सुरेन्द्र बहादुर सिंह खुल कर विरोध करेगे। इस लिए राजा डॉ महंत के खतरा हो सकता है।