सुशासन का नया अध्याय: नवाचार, तकनीक और पारदर्शिता की मिसाल बना छत्तीसगढ़

आज मंत्रालय स्थित महानदी भवन के ऑडिटोरियम में ‘सुशासन संवाद’ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक रीढ़ को नई ऊर्जा देने वाले निर्देश दिए। उन्होंने प्रशासन से “नवाचार को नागरिक सेवा का हथियार” बनाने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में मंत्रियों, प्रमुख सचिवों, कलेक्टरों और वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति रही। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा – “नवाचार तुगलकी प्रयोग नहीं, जनता की सुविधा के साधन बनें।”
बिंदुवार प्रमुख बातें:
🔹 नवाचार का मतलब—स्थायित्व और व्यवहारिकता, तात्कालिक प्रयोगों से बचें
🔹 जनता की राय और फीडबैक अनिवार्य, तभी होगा नवाचार सफल
🔹 लोक सेवा गारंटी अधिनियम पर जीरो टॉलरेंस, तय समय में सेवा, वरना कार्रवाई
🔹 ई-ऑफिस और ई-डिस्ट्रिक्ट का 100% क्रियान्वयन, मैनुअल सिस्टम को अलविदा
🔹 पुरानी फाइलें हटाओ अभियान, कार्यालयों में अनुशासन और स्वच्छता जरूरी
🔹 शिकायत निवारण पारदर्शी और डिजिटल, जनता का विश्वास सर्वोपरि
🔹 फील्ड विजिट हों नियमित, आंकड़ों से नहीं, जमीनी सच्चाई से चलेगा शासन
🔹 जिलों के नवाचारों की सराहना, ‘जशप्योर’, ‘डेटा प्लेटफॉर्म’, ‘ब्लॉकचेन भूमि रिकॉर्ड’, ‘टीम प्रहरी’ को मॉडल बताया
🔹 2024 नहीं, नजर 2047 पर, लक्ष्य – विकसित भारत की अग्रिम पंक्ति में छत्तीसगढ़
मुख्य सचिव विकास शील ने भी कहा कि अब वक्त आ गया है कि “ब्यूरोक्रेसी खुद बदले, तभी व्यवस्था बदलेगी।”
कार्यक्रम का एक और आकर्षण रहा जिलों के नवाचारों पर आधारित कॉफी टेबल बुक का विमोचन, जो इस बात का प्रमाण है कि जमीन से जुड़ी छोटी पहलें भी बड़ा बदलाव ला सकती हैं।
मुख्यमंत्री ने अंत में दो टूक कहा –
“छत्तीसगढ़ के विकास की तस्वीर हमारे छोटे-छोटे प्रयासों से बनेगी, और इसके लिए भीतर से बदलाव जरूरी है।”