अफगानिस्तान फिर कांपा, 6.0 तीव्रता के भूकंप ने ली 622 ज़िंदगियां, हज़ारों घायल

रविवार देर रात जब लोग चैन की नींद में थे, तब धरती हिलने लगी। अफगानिस्तान के पूर्वी हिस्से में आए ज़बरदस्त भूकंप ने मिनटों में तबाही मचा दी। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के मुताबिक, 6.0 तीव्रता का यह भूकंप जलालाबाद के पास नंगरहार प्रांत में आया, जिसकी गहराई सिर्फ 8 किलोमीटर थी। ज़मीन के इतना करीब केंद्र होने के कारण इसका प्रभाव भयावह रहा।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक 622 लोगों की जान जा चुकी है, और 1500 से अधिक लोग घायल हुए हैं। कई इमारतें मलबे में तब्दील हो गईं, और सैकड़ों परिवार एक झटके में बेघर हो गए।
झटकों ने पार की सरहदें
भूकंप के झटके सिर्फ अफगानिस्तान तक सीमित नहीं रहे। भारत के दिल्ली-एनसीआर सहित कई हिस्सों में इसकी कंपन महसूस की गई। पाकिस्तान में भी लोग घरों से बाहर निकल आए। स्थानीय समयानुसार रात 11:47 बजे, उसी क्षेत्र में एक दूसरा झटका भी दर्ज किया गया, जिसकी तीव्रता 4.5 थी और गहराई 10 किलोमीटर मापी गई।
भूकंपों की ज़मीन पर फिर एक बड़ी आपदा
यह कोई पहली बार नहीं था। पिछले एक महीने में अफगानिस्तान में पांचवीं बार भूकंप आया है। देश भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है, और हर कुछ दिन में धरती का कांपना यहां आम बात बन चुकी है।
8 अगस्त: 4.3 तीव्रता
13 अगस्त: 4.2 तीव्रता
17 अगस्त: 4.9 तीव्रता
27 अगस्त: 5.4 तीव्रता
इस बार का झटका हालांकि उन सब पर भारी पड़ा।
2023 की सबसे घातक प्राकृतिक आपदा
याद दिला दें, 7 अक्टूबर 2023 को भी अफगानिस्तान में 6.3 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें तालिबान सरकार के अनुसार 4,000 लोगों की मौत हुई थी। संयुक्त राष्ट्र ने यह आंकड़ा 1,500 बताया था, लेकिन दोनों ही अनुमान एक बड़ी त्रासदी की गवाही देते हैं।
भूकंप कैसे मापा जाता है?
भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल से मापी जाती है। इसमें 1 से 9 तक के पैमाने पर धरती के भीतर निकली ऊर्जा की तीव्रता दर्ज की जाती है। स्केल पर जितना ज्यादा अंक, उतना अधिक घातक भूकंप।
उदाहरण के लिए:
4.0 से नीचे: मामूली झटके
5.0–6.0: मध्यम लेकिन नुकसानदायक
6.0–7.0: गंभीर
7.0 से ऊपर: विनाशकारी
अफगानिस्तान की जनता एक बार फिर संकट में है। राहत और बचाव कार्य शुरू हो चुके हैं, लेकिन कठिनाइयाँ कम नहीं हैं। इस प्राकृतिक आपदा ने न सिर्फ सैकड़ों जानें लीं, बल्कि एक बार फिर दुनिया को याद दिला दिया कि ज़मीन के नीचे छिपे खतरे कब सतह पर आ जाएं, कोई नहीं जानता।