
जगदलपुर : पूरे भारत में तेन्दूपत्ता के उपयोग से बनाई जाने वाली बीड़ी का प्रचलन लगातार कम होता जा रहा है, जिसके कारण तेन्दूपत्ता खरीदी में लगातार कमी आ रही है। इस संबंध में यह एक विशेष तथ्य है कि ठेकेदारों द्वारा रूचि नहीं दिखाए जाने से गत वर्ष का तेन्दूपत्ता पूरी तरह यहां बिक नहीं पाया था और दूसरी ओर इस वर्ष भी पूरे बस्तर में तेन्दूपत्ता खरीदी के लिए उत्सुक खरीददार ठेकेदारों की रूचि कम दिखाई दे रही है।
बीड़ी का प्रचलन लगातार कम होता जा रहा है
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष ग्रामीणों ने अधिक लाभ की आशा तथा बढ़ रहे खर्चों के कारण तेन्दूपत्ता संग्रहण में बढ़-चढक़र भाग लिया और सुकमा के वन मंडल में 48 लाटों का संग्रहण कर समूचित लाभ प्राप्त करने की आशा संजोयी लेकिन खरीदी करने वाले ठेकेदारों के द्वारा खरीदी के लिए रूचि न दिखाए जाने से वे निराश हैं।
ठेकेदारों के द्वारा खरीदी के लिए रूचि न दिखाए जाने से वे निराश हैं
इस संबंध में यह भी विशेष तथ्य है कि अकेले सुकमा वन मंडल में ही तेन्दूपत्ता संग्रहण के कार्य में ग्रामीणों को 22 करोड़ रूपए से अधिक की राशि पारिश्रमिक के तौर पर और 10 करोड़ से अधिक की राशि बोनस के तौर पर प्राप्त होती है लेकिन संग्रहित की गई लाटों की खरीदी के लिए रूचि नहीं दिखने से उनका बोनस प्रभावित हो सकता है। जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान भी हो सकता है।
अकेले सुकमा वन मंडल में ही तेन्दूपत्ता संग्रहण के कार्य
इस बार अभी तक मात्र 16 लाटों की खरीदी के लिए ठेकेदारों द्वारा रूचि दिखाए जाने की जानकारी सामने आई है। यह भी इस संबंध में उल्लेखनीय है कि दक्षिण बस्तर के इस क्षेत्र से प्राप्त होने वाला तेन्दूपत्ता अच्छी गुणवत्ता का होता है।