बस्तर विधानसभा का विश्लेषण: कांग्रेस के लखेश्वर बघेल के इस बार बचा पाएंगे अपनी टिकट,या सुभाऊ कश्यप करेंगे हिट विकेट?

नमस्कार दोस्तों 4रथ आई न्यूज़ में आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है दोस्तों हमारी विधानसभा सीटों के विश्लेषण के स्पेशल सीरीज लगातार आगे बढ़ती जा रही है हमने अब तक इस सीरीज में कई विधानसभा के कवर कर ली हैं और आज हम एक ऐसी विधानसभा सीट का विश्लेषण आपके लिए लेकर आए हैं जो सीट हमारे छत्तीसगढ़ में हॉट सीट मानी जाती है कहा जाता है कि इस सीट से ही प्रदेश सरकार की दशा और दिशा तय होती है यह वह सीट है जिसके बॉर्डर पर फोकस करना ना सिर्फ विभिन्न राजनीतिक दलों की अनिवार्यता है बल्कि यह कहना गलत नहीं होगा कि मजबूरी भी क्योंकि इस सीट का एक बड़ा तबका राज्य में कौन सी सरकार बनेगी इसका निर्धारण करता है यह सीट है हमारे छत्तीसगढ़ के बस्तर विधानसभा सीट।
बस्तर यूं तो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है लेकिन पिछले कुछ सालों में इसे लाल भूमि की संज्ञा भी दी गई है पनपे हुए नक्सलवाद ग्रामीणों की दशा और सुरक्षाबलों की तैनाती आज बस्तर की संज्ञा बन चुकी है पर्यटन से इतर यह क्षेत्र खनिज संपदा से भी भरपूर है तेंदूपत्ता संग्रहण क्षेत्र के लोगों का मूल व्यवसाय है जिसकी एवज में उन्हें राज्य सरकार से मानदेय मिलता है आदिवासी बाहुल्य इस क्षेत्र बस्तर में विभिन्न जनजाति के रहवासी निवास करते हैं हमारे प्रदेश के कई बड़े नेता बस्तर से ही निकले हैं जो इस समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इस सीट पर चुनाव हमेशा से ही दिलचस्प रहे हैं बस्तर ऐसी सीट है जहां से हमारे प्रदेश की दोनों ही बड़ी पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस इस सीट से आदिवासी चेहरा ही उतारती आई है आज हम आपके सामने इस सीट पर हुए पिछले 3 विधानसभाओं का विश्लेषण लेकर आए हैं।
सबसे पहले बात करेंगे साल 2008 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की उस दौरान प्रदेश में डॉ रमन सिंह के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार थी साल 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बस्तर विधानसभा सीट पर सुभाऊ कश्यप को टिकट दी कांग्रेस ने बीजेपी के सुभाऊ कश्यप के खिलाफ लखेश्वर बघेल को चुनावी मैदान में उतारा डॉ रमन सिंह की आंधी में इस चुनाव में बीजेपी के सुभाऊ कश्यप कुल 39991 वोटों से जीते और विधानसभा पहुंचे वहीं उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस के प्रत्याशी लखेश्वर बघेल को 38790 वोट ही मिल पाए जीत का मार्जिन लगभग 1 हज़ार वोट रहा और इस तरह इस सीट की विधायकी बीजेपी के पास गई।
इसके बाद आया साल 2013 का विधानसभा चुनाव इस चुनाव में दोनों ही पार्टियों ने अपने कैंडिडेट को रिपीट किया बीजेपी ने तत्कालीन विधायक सुभाऊ कश्यप का टिकट नहीं काटा तो ही कांग्रेस ने पिछला विधानसभा चुनाव हार चुके अपने प्रत्याशी पर एक बार फिर से दांव खेला इस बार बीजेपी का भरोसा टूट गया वही कांग्रेस के प्रत्याशी लखेश्वर बघेल इस चुनाव में बाजी मार गए सुभाऊ कश्यप को इस चुनाव में मात्र 38774 वोट मिले यानी उनके पिछले चुनाव की जीत के वोटों से बेहद कम वही पिछला चुनाव हारे हुए कांग्रेस के प्रत्याशी लखेश्वर बघेल 57942 वोटों की रिकॉर्ड जीत के साथ बस्तर विधानसभा सीट से विधायक बने जीत का मार्जिन 19000 वोटों का रहा और एक बड़ी लीड कहलाई।
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां समीकरण थोड़े बदले नजर आए इस बार मुकाबला त्रिकोणीय था इस चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी यथावत रखे तो वहीं जनता जोगी कांग्रेस ने भी बस्तर में ताल ठोकी और सोनसाय कश्यप को बतौर प्रत्याशी मैदान में उतारा इस तरह सीट पर बीजेपी की तरफ से शुभम कश्यप कांग्रेस की तरफ से तत्कालीन विधायक लखेश्वर बघेल बीजेपी जी की तरफ से सोनसाय कश्यप क त्रिकोणीय मुकाबला था इस चुनाव में भी कांग्रेसी लखेश्वर बघेल ने जीत दर्ज की उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के शुभम कश्यप को 33471 मतों के भारी अंतर से हराया ।
साल 2018 के बस्तर विधानसभा चुनाव मसीह कांग्रेस के लखेश्वर बघेक को 74,378 वोट, बेजेपी के सुभाऊ कश्यप को 40,907 वोट तो वहीं जेसीसीजे के सोनसाय कश्यप को 3688 वोट मिले, जेसीसीजे के प्रत्याशी से ज़्यादा वोट तो नोटा को मिले। नोटा पर कुल 5,000 वोट पड़े।
दोस्तों इस बार खबर मिल रही है कि बस्तर विधानसभा से कांग्रेस अपने तत्कालीन विधायक लखेश्वर बघेल का भी टिकट काट सकती है वहीं बीजेपी शुभम कश्यप को एक बार फिर आजमाने की तैयारी में है लेकिन अगर लखेश्वर बघेल का टिकट कटता है तो ऐसे में उनकी जगह इस सीट से क्या कांग्रेस के पास आप कोई और बेहतर चेहरा देखते हैं या फिर आपको लगता है कि इस बार बार भी बीजेपी के शुभम कश्यप मार जाएंगे बस्तर में मौजूदा समय में जो सरकार के दावे है कि यहां विकास हुआ है नक्सलवाद कम हुआ है।