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baloda bazar Amargufa जैतखाम जहां तोड़फोड़ के बाद क्यों भड़के लोग

रायपुर। बलौदाबाजार में 10 जून को सतनामी समाज के लोगों ने उग्र आंदोलन किया, जिसमें शहर भर में कई जगहों पर आग लगा दी गई. आंदोलनकारियों ने डीएम और एसपी ऑफिस कैंपस में भी तोड़फोड़ की और सरकारी प्रॉपर्टी को आग के हवाले कर दिया. इस दौरान उन्होंने कई गाड़ियों को जला दिया. जानकारी के अनुसार, प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस पर पथराव भी किया गया, जिसमें कई अधिकारियों के घायल होने की सूचना है. घटना के बाद जिला प्रशासन ने बलौदाबाजार शहर में धारा 144 लागू कर दी, जो कि 16 जून से बढ़ा कर 20 जून तक जारी कर दिया है. इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी हिंसा के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. हैरानी की बात यह है कि जिस समाज ने हिंसा का रास्ता चुना, उनके गुरु घासीदास हमेशा हिंसा का विरोध करते आए हैं. उन्होंने मनखे मनखे एक समान का संदेश दिया, जिसने छत्तीसगढ़ के लाखों लोगों को एकजुट किया. हालांकि, सतनामी समाज के गुरु खुशवंत साहेब ने यह दावा किया है कि ऐसी वारदात सतनामी समाज के लोग नहीं कर सकते. इसमें जरूर असामाजिक तत्व शामिल हैं. दरअसल, गिरौदपुरी में ही जहां पर गुरु घासीदास ने तपस्या की, वहां उनके अनुयायियों ने मंदिर बनवाया. इसे अमरगुफा कहा जाता है और यहीं पर जैतखाम स्थापित किया गया. सतनाम समाज में मूर्ति पूजा निषेध है और वर्ण भेद मायने नहीं रखता. साल 1850 में गुरु घासीदास की मृत्यु के बाद बेटे गुरु बालकदास ने उनकी शिक्षा को आगे बढ़ाया. आज बाबा घासीदास के करोड़ों अनुयायी हैं. उनका सबसे प्रसिद्ध संदेश मनखे मनखे एक समान है।

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