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अंतरराष्ट्रीय दबाव में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, अवामी लीग पर बैन हटाने की मांग तेज

बांग्लादेश में फरवरी में प्रस्तावित आम चुनाव से पहले सियासी माहौल लगातार गर्म होता जा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की राजनीति में वापसी की अटकलें तब तेज हो गईं, जब अंतरिम सरकार और उसके प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस पर अंतरराष्ट्रीय दबाव खुलकर सामने आया। खास तौर पर अमेरिका के वरिष्ठ सांसदों ने स्पष्ट किया है कि किसी बड़ी राजनीतिक पार्टी को चुनाव से बाहर रखना लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की विदेश मामलों की समिति के वरिष्ठ सदस्य ग्रेगरी डब्ल्यू मीक्स, बिल हुईजेंगा और सिडनी कैमलागर-डोव ने यूनुस को भेजे पत्र में चेतावनी दी कि अवामी लीग जैसे बड़े दल पर प्रतिबंध लाखों मतदाताओं को उनके अधिकार से वंचित कर सकता है। सांसदों का कहना है कि ऐसी स्थिति में चुनाव न स्वतंत्र कहा जा सकता है और न ही निष्पक्ष।

यह पत्र ऐसे वक्त आया है जब जुलाई विद्रोह के बाद अंतरिम सरकार ने अवामी लीग और उसकी छात्र इकाई पर रोक लगा रखी है। अमेरिकी सांसदों ने माना कि संकट के दौर में अंतरिम सरकार की भूमिका अहम होती है, लेकिन किसी पूरे संगठन को सामूहिक रूप से दोषी ठहराना मानवाधिकारों और व्यक्तिगत जिम्मेदारी के सिद्धांतों के विपरीत है। साथ ही उन्होंने चेताया कि राजनीतिक गतिविधियों पर अंकुश और इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल को पुराने स्वरूप में बहाल करना चुनाव की विश्वसनीयता को कमजोर कर सकता है।

इसी बीच यूनुस ने अमेरिकी विशेष दूत सर्जियो गोर से बातचीत में दावा किया कि 12 फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए देश तैयार है और सरकार स्वतंत्र व शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करेगी। हालांकि उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि अपदस्थ शासन के समर्थक विदेश से हिंसा भड़काने और चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।

दूसरी ओर, शेख हसीना ने साफ कहा है कि अवामी लीग के बिना होने वाला चुनाव जनादेश नहीं बल्कि ‘राजतिलक’ होगा। उनका आरोप है कि अगर प्रतिबंध जारी रहा तो लोकतांत्रिक प्रक्रिया की नैतिक वैधता पर गंभीर सवाल खड़े होंगे।

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