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बस्तर की झांकी ने एकता परेड में बिखेरा संस्कृति और विकास का रंग

रायपुर। गुजरात के एकता नगर में आयोजित एकता परेड में इस बार छत्तीसगढ़ की झांकी ने सबका दिल जीत लिया। “बस्तर की धरती – संस्कृति, सृजन और प्रगति की गाथा” नामक यह झांकी बस्तर की जीवंत परंपराओं और आधुनिक विकास यात्रा का अद्भुत संगम प्रस्तुत कर रही थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परेड में शामिल झांकियों का अवलोकन किया और छत्तीसगढ़ की झांकी की प्रशंसा की। झांकी में पारंपरिक माड़िया कलाकारों का गौर नृत्य, बस्तर की लोक आस्था में निहित नंदी चित्रण और विकास यात्रा की झलक ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

झांकी में बस्तर के सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन को भी खूबसूरती से पेश किया गया। कभी नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र अब शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और रोजगार में तेजी से आगे बढ़ रहा है। महिला शक्ति और श्रम को दर्शाने वाली टोकरीधारी प्रतिमा और ढोकरा कला से सजी सजावट ने बस्तर की पारंपरिक कला और सृजनशीलता को जीवंत किया।

आज बस्तर में बंदूक नहीं, बल्कि विकास की गूंज सुनाई देती है। स्कूलों में बच्चों की चहल-पहल, गांवों में बिजली और इंटरनेट की सुविधा, और युवाओं में नई उम्मीदें इस बदलाव की कहानी बयान करती हैं। महिलाओं की आत्मनिर्भरता और हस्तशिल्प से जीवन में नई दिशा आई है।

इस झांकी के चयन में उसकी सांस्कृतिक मौलिकता और विकास की कहानी को निर्णायक माना गया। अंतिम सूची में छत्तीसगढ़ के साथ एनएसजी, एनडीआरएफ, अंडमान-निकोबार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, मणिपुर, पुद्दुचेरी और उत्तराखंड की झांकियाँ शामिल हुईं।

छत्तीसगढ़ की यह झांकी यह संदेश देती है कि बस्तर अब सिर्फ़ परंपरा और संस्कृति के लिए नहीं, बल्कि विकास और सृजनशीलता के लिए भी एक नई पहचान बना रहा है।

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