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हवा में भी जिंदा रह सकता है ‘कोरोना वायरस’ !

नईदिल्ली (Forth Eye News ) चीन के वुहान से निकला वायरस पूरी दुनिया को निगलने को बेताब दिखाई दे रहा है, और काफी आसानी से यह दुनिया भर में फैलता नजर आ रहा है. भारत में भी कोरोना वायरस के 170 मामलों की पुष्टि हो चुकी है. ऐसे में कोरोना वायरस से जुड़े कई सवाल लोगों के मन में उठ रहे हैं. आइए जानते हैं कोरोना वायरस के संक्रमण से जुड़ी हर जानकारी-

सीडीसी (Centers for Disease Control and Prevention) के मुताबिक, ये वायरस ज्यादातर एक-दूसरे के संपर्क में आने से फैलता है इसलिए लोगों को आपस में करीब 6 फुट (1.8 मीटर) तक की दूरी बनाए रखनी चाहिए. कोरोनावायरस COVID-19 की शुरुआत कफ और छींक से होती है. प्रभावित व्यक्ति खांसी या छींक के छींटे उसके आस-पास लोगों को भी कोरोना वायरस की चपेट में ले लेते हैं.

जिस सतह या जगह पर वायरस है, उसे छूने के बाद मुंह, नाक और आंखों पर हाथ रगड़ने से भी SARS-CoV-2 के संक्रमण की संभावना है. हालांकि सीडीसी अधिकारियों का मानना है कि इस तरह का ट्रांसमिशन होने की संभावना कम ही है.

कोरोना वायरस को लेकर हुए एक स्टडी में सामने आया है कि इसका वायरस हवा में भी घंटों जिंदा रह सकता है।

‘न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन’ (NEJM) में प्रकाशित स्टडी के अनुसार, कोरोना वायरस हवा में तीन घंटे, तांबे की सतह पर चार घंटे, गत्ते की सतह पर 24 घंटे और स्टील-प्लास्टिक की सतह पर दो-तीन दिन तक जिंदा रहता है।

हवा में ये संक्रमित व्यक्ति की छींक आदि से निकली पानी की छोटी बूंदों में जिंदा रहता है।

कुछ कोरोना वायरस कई दिनों तक सक्रिय रहते हैं लेकिन इस नए कोरोना वायरस के बारे में ये जानकारी नहीं है कि ये सतह पर कितने देर तक टिकता है. राहत की बात ये है कि सतह पर रहने वाले इन वायरस को इथेनॉल, हाइड्रोजन-पेरोक्साइड या ब्लीच से बने क्लीनर से मारा जा सकता है.

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