केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में 16 जुलाई को फांसी, भारत सरकार के पास अब भी हैं दखल के विकल्प

केरल न्यूज | यमन फांसी केस | केरल के पलक्कड़ की रहने वाली और पेशे से नर्स निमिषा प्रिया को यमन में 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जाने की तारीख तय कर दी गई है। मानवाधिकार कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम ने यह जानकारी दी है।
जेरोम के मुताबिक, निमिषा फिलहाल यमन की जेल में बंद हैं और वहां के जेल प्रशासन ने आधिकारिक तौर पर उन्हें मौत की सजा की तारीख बता दी है। जेरोम के पास निमिषा प्रिया की मां प्रेमा कुमारी की पावर ऑफ अटॉर्नी भी है। उन्होंने कहा कि जेल के चेयरमैन ने फोन पर फांसी का आदेश पास होने की पुष्टि की है।
ब्लड मनी पर अब तक नहीं बनी बात
सैमुअल जेरोम ने बताया कि पीड़ित यमनी नागरिक के परिवार के साथ बातचीत और ब्लड मनी (दिया) के जरिए समझौते की कोशिशें जारी थीं। भारत की तरफ से करीब 10 लाख डॉलर तक की पेशकश की गई और एक स्पॉन्सर की मदद से रकम जुटाई भी जा रही थी। हालांकि अब तक यमनी परिवार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार के पास अब भी दखल देने और जान बचाने के विकल्प खुले हैं। विदेश मंत्रालय से उम्मीद जताई जा रही है कि वह अंतिम समय में हस्तक्षेप कर सकता है।
कौन हैं निमिषा प्रिया?
केरल की रहने वाली निमिषा प्रिया ने नर्सिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद 2011 में यमन में नौकरी शुरू की। वह अपने माता-पिता—जो दिहाड़ी मजदूर थे—को बेहतर जीवन देने के लिए वहां गई थीं।
शुरुआत में उन्होंने यमन के कई अस्पतालों में कड़ी मेहनत की। बाद में उन्होंने खुद का क्लिनिक खोलने का सपना देखा और 2014 में यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी के संपर्क में आईं। महदी ने क्लिनिक शुरू कराने में मदद करने का वादा किया था।
साझेदारी से विवाद और हत्या का आरोप
यमन के नियमों के मुताबिक विदेशी नागरिक को किसी स्थानीय व्यक्ति के साथ साझेदारी में ही व्यापार करना होता है। इसी के तहत निमिषा और महदी ने 2015 में क्लिनिक शुरू किया। लेकिन जल्दी ही दोनों के रिश्ते बिगड़ गए। निमिषा ने महदी पर दुर्व्यवहार, शोषण और उनका पासपोर्ट जब्त कर लेने का आरोप लगाया।
2016 में निमिषा ने महदी के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी की थी लेकिन कुछ दिनों बाद उसे रिहा कर दिया गया। 2017 में विवाद और बढ़ गया जब पासपोर्ट वापस पाने के लिए निमिषा ने एक स्थानीय जेल वार्डन की मदद ली। वार्डन ने सुझाव दिया कि महदी को बेहोश करने के लिए सेडेटिव्स का इस्तेमाल किया जाए।
बताया जाता है कि ओवरडोज से महदी की मौत हो गई। इसके बाद निमिषा को गिरफ्तार किया गया और यमन की अदालत ने उन्हें हत्या का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई।
मां ने यमन जाकर मांगी रहम की भीख
निमिषा की मां प्रेमा कुमारी भी इस साल की शुरुआत में यमन की राजधानी सना पहुंची थीं। वहां उन्होंने मृत्युदंड को माफ कराने और पीड़ित परिवार के साथ ब्लड मनी समझौते की कोशिश की।
लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है। कार्यकर्ता जेरोम और परिवार की अपील है कि भारत सरकार इस मामले में तुरंत दखल दे और एक भारतीय नागरिक की जान बचाए।