छत्तीसगढ़मीडिया हलचल

माननीय हाई कोर्ट से मीडियाकर्मी को बड़ी राहत, कोर्ट में केस चलने तक IBC24 से मिलता रहेगा वेतन

मुकदमेबाजी के लिए 20 हजार रुपए खर्च भी देना होगा

मीडियाकर्मी की अवैध छटनी के एक मामले में माननीय छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की एकल पीठ ने एक महत्तपूर्ण आदेश पारित किया है। इसके तहत फरियादी को बड़ी राहत दी गई है। इसके साथ ही माननीय हाई कोर्ट बिलासपुर ने लेबर कोर्ट रायपुर को 6 महीने की समयसीमा में मामले कि सुनवाई कर उचित निर्णय लेने के दिये निर्देश ।

जानिए कि पूरा मामला क्या है?

वर्ष 2017 में एस. बी. मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड (कंपनी) के ख़िलाफ़ लेबर कोर्ट रायपुर में अवैध छटनी से व्यथित होकर एक कर्मकार ने मामला दर्ज किया था। कर्मकार/सत्येंद्र सिंह राजपूत जो कि वर्ष 2008 से एस. बी. मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित एक न्यूज़ चैनल में वीडियो एडिटर के पद पर भर्ती हुए थे, वे वर्ष 2017 में एसोसियेट प्रोडूसर के पद पर काम कर रहे थे। लेबर क़ानूनों के विपरीत और बिना पूर्व नोटिस के उन्हें अकस्मात् ही कंपनी से अवैध छटनी कर काम से निकाल दिया था। लेबर कोर्ट ने वर्ष अक्टूबर 2022 में सत्येंद्र सिंह राजपूत की बहाली और सेवा समाप्ति दिनांक से सेवा में पुनर्स्थापित करने के दिनांक तक वेतन भत्ता और अन्य हितलाभ प्रदान करने का अधिनिर्णय घोषित किया था।

श्रम न्यायालय के फैसले के खिलाफ कंपनी ने लिया था स्टे

एस. बी. मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा लेबर कोर्ट के द्वारा घोषित अधिनिर्णय के ख़िलाफ़ माननीय हाई कोर्ट में रिट याचिका (लेबर) दायर किया गया। कंपनी ने सुनील ओटवानी और शोभित कोष्टा अधिवक्ताओं के मार्फ़त दायर की गई रिट याचिका में लेबर कोर्ट द्वारा घोषित अधिनिर्णय को ख़त्म कर, पुनः लेबर कोर्ट में अपना पक्ष रखने की प्रार्थना की थी। अधिवक्तगण ने कोर्ट को यह बताया की अधिनिर्णय एक पक्षीय होने के कारण रद्द किए जाने योग्य है और उन्हें सुने बिना लेबर कोर्ट रायपुर द्वारा अधिनिर्णय घोषित कर दिया गया था।

कर्मकार की ओर से पैरवी अनादि शर्मा, अधिवक्ता ने की। अनादि शर्मा नें कोर्ट में यह तर्क दिया कि याचिकाकर्ता कंपनी को पूर्व में लेबर कोर्ट द्वारा नोटिस दिया गया था। जिसके बाद कंपनी अपने अधिवक्ताओं के द्वारा, लेबर कोर्ट में 3 अलग तिथियों पर उपस्थित भी हुए थे, जिसके बाद कंपनी नें केस की सुनवाई में देरी करने के उद्देश्य से रणनीति के तहत लेबर कोर्ट में उपस्थिति देनी बंद कर दी थी।

6 महीने में सुनवाई करने के निर्देश

मामले की अंतिम सुनवाई माननीय हाई कोर्ट के न्यायाधीश श्री ऐन. के. व्यास जी के एकल पीठ में हुई। माननीय उच्च न्यायालय नें कोविड संक्रमण के बाद याचिकाकर्ता कंपनी को लेबर कोर्ट द्वारा पुनः नोटिस जारी कर केस की तिथि नहीं बताये जाने, अधिनिर्णय के पूर्व, दोनों पक्षों को नोटिस नहीं दिये जाने के कारण और न्यायहित में लेबर कोर्ट द्वारा घोषित एकपक्षीय अधिनिर्णय को रद्द करते हुए पुनः लेबर कोर्ट को दोनों पक्षों को सुनवाई का अवसर देते हुए 6 महीने की समयसीमा में तय करने का निर्णय दिया।

मुकदमेंबाजी के लिए 20 हजार रुपए खर्च भी देना होगा

माननीय हाई कोर्ट ने, अपने निर्णय (एस. बी. मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड विरुद्ध सत्येन्द्र सिंह राजपूत) में याचिकर्ता को कर्मकार के हित में, जब तक लेबर कोर्ट पुनः मामले में अधिनिर्णय पारित नहीं करती, तब-तक हर महीने कर्मकार/सत्येन्द्र सिंह राजपूत को वेतन देते रहने का निर्देश पारित किया। साथ ही माननीय न्यायालय नें कंपनी को निर्देश देते हुए मुक़दमेबाज़ी के खर्च के रूप में 20,000/- रुपये कॉस्ट कर्मकार को दिये जाने का फ़ैसला सुनाया। माननीय हाई कोर्ट बिलासपुर ने अपने इस फ़ैसले को रिपोर्टिंग के लिए अनुमोदित भी किया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button