बजट: सुस्त है रियल एस्टेट की रफ्तार, इस बार क्या हैं उम्मीदें?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का ऐलान किया था. नोटबंदी के फैसले का सबसे ज्यादा असर रियल एस्टेट सेक्टर पर देखने को मिला है. यह सेक्टर अब तक सुस्ती से उबर नहीं सका है. ऐसे में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले आम बजट से रियल एस्टेट सेक्टर को काफी उम्मीदें हैं. बता दें कि मोदी सरकार का पहला आम बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी.
क्या हैं उम्मीदें
रियल एस्टेट सेक्टर लंबे समय से प्रोजेक्टस के लिए सरकार से सिंगल विंडो की मांग कर रहा है. इसके अलावा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) और डेवलपर्स को फंडिंग सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की मांग हो रही है. रियल एस्टेट इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि प्रोजेक्टस को जल्द पूरा करने के लिए लिक्विडिटी की जरूरत है.
इसके अलावा इंडस्ट्री को GST में इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) बहाल करने की मांग है. दरअसल, इनपुट टैक्स क्रेडिट के लाभों के बिना, बिल्डर को अपने लाभ में अच्छी खासी गिरावट देखने को मिल रही है. यह सेक्टर लंबे समय से स्टाम्प शुल्क हटाने की भी मांग कर रहा है.
इस बीच खबर है कि वित्त मंत्रालय ने रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआरडीएआई) से होम लोन से जुड़े आंकड़े मांगे हैं. इस बात की उम्मीद की जा रही है कि बजट में होम लोन पर टैक्स छूट की लिमिट बढ़ाई जा सकती है. फिलहाल इनकम टैक्स की धारा 24 के तहत अगर किसी ने होम लोन ले रखा है तो उसकी ओर से 2 लाख रुपये तक के ब्याज पर इनकम टैक्स छूट मिलती है.
बता दें कि भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र अर्थव्यवस्था के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है. 2017 में सकल घरेलू उत्पाद में इस क्षेत्र का योगदान 6.7 फीसदी था. जबकि 2025 तक इसके 13 फीसदी पर पहुंचने का अनुमान है.
2018 के बजट में क्या था
अगर साल 2018 के आम बजट की बात करें तो देश के हर गरीब को घर के लक्ष्य की बात कही गई थी. इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में 37 लाख मकान बनाने को मंजूरी दी गई थी. वहीं मोदी सरकार के कार्यकाल में आखिरी आम बजट पेश करते वक्त स्मार्ट सिटी के विकास के लिए 2.4 लाख करोड़ रुपये का फंड देने का ऐलान किया गया. बजट 2018 में सीमा पर सड़कें बनाने पर भी जोर दिया गया.
बता दें कि पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद से ही देश के रियल एस्टेट सेक्टर में कई बदलाव देखने को मिले हैं. मोदी सरकार ने रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट) कानून के जरिए बिल्डरों की मनमानी रोकने का प्रयास किया तो वहीं प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) और दीन दयाल आवास योजना के जरिए अफोर्डेबेल हाउसिंग मार्केट को नया सहारा मिला.