VPN के नियमों में बदलाव, VPN सर्विस प्रोवाइडर्स को अब यूजर्स का डेटा रखना अनिवार्य
दिल्ली। भारत सरकार ने नई आईटी पॉलिसी इंट्रोड्यूश कर दी है, जिसमें VPN सर्विस प्रोवाइडर्स को अब यूजर्स का डेटा कलेक्ट करना होगा। वीपीएन यानी Virtual Private Network कंपनियों को अब अपने कस्टमर्स का डेटा कलेक्ट करना होगा और उसे 5 साल तक मेंटेन करना होगा। VPN सर्विस प्रोवाइड्स को CERT-in (Computer Emergency Response Team) ने निर्देश जारी किया है। भारत सरकार की नई पॉलिसी जून 2022 के अंत तक लागू होगी। वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क की सर्विस देने वाली कंपनियों को यूजर्स का डेटा उनके अकाउंट डिलीट होने के बाद भी सिक्योर रखना होगा।
भारत में ऑनलाइन एक्टिविटीज को लेकर शख्त कदम उठाएं हैं और इसका अंजाम ही वीपीएन नियमों में बदलाव है। आसान भाषा में समझें तो VPN की मदद से यूजर्स अपनी ब्राउजिंग हिस्ट्री, आईपी ऐड्रेस और जियोग्राफिक लोकेशन को हाइड कर सकते हैं। नए प्रावधान में कंपनियों को अपनी इंफॉर्मेशन और कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी सिस्टम के लॉग्स भारत में मेंटेन करने होंगे। इसके अलावा VPN प्रोवाइडर्स को यूजेज लॉग 180 दिनों के लिए स्टोर करना होगा। इसमें किसी यूजर की ब्राउजिंग एक्टिविटी भी शामिल होती है।