हरेली में छत्तीसगढ़ी खुशबू: मुख्यमंत्री निवास में ग्रामीण रंग, किसानों के सम्मान में गूंजे बोल

रायपुर। छत्तीसगढ़ की मिट्टी से जुड़ा, प्रकृति से गूंथा और किसानों की मेहनत को समर्पित—ऐसा है हरेली पर्व, जो आज मुख्यमंत्री निवास में पूरे हर्षोल्लास और पारंपरिक अंदाज में मनाया गया। सिविल लाइन स्थित मुख्यमंत्री निवास आज किसी गांव की चौपाल सा नज़र आया, जहां हरियाली, छत्तीसगढ़ी लोकसंगीत और मिट्टी की सोंधी महक फैली हुई थी।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने जब मंच से बोलना शुरू किया, तो शब्दों में सिर्फ औपचारिकता नहीं थी—किसानों की चिंता, गांव की धड़कन और छत्तीसगढ़ की आत्मा झलक रही थी। उन्होंने कहा, “हरेली सिर्फ एक पर्व नहीं, ये हमारी जड़ों से जुड़ने का जरिया है। खेत, किसान और प्रकृति… यही हमारी असली पूंजी है।”
उन्होंने यह भी साफ किया कि उनकी सरकार सिर्फ वादे नहीं करती, ज़मीन पर काम करती है। किसानों को 3100 रुपये प्रति क्विंटल धान और 21 क्विंटल प्रति एकड़ की सीमा—ये फैसले सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि किसान के माथे का पसीना समझकर लिए गए हैं।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने भी मौके की गरिमा बढ़ाते हुए कहा, “हरेली छत्तीसगढ़ की संस्कृति की धड़कन है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन भोलेनाथ खुद धरती पर आते हैं, खेतों का निरीक्षण करते हैं—इसलिए किसान अपने हल-बैल और यंत्रों की पूजा करते हैं।”
उन्होंने ये भी जोड़ा कि आज छत्तीसगढ़ के किसानों को जो ऐतिहासिक समर्थन मिल रहा है, वो केवल घोषणाओं का नतीजा नहीं, बल्कि एक समर्पित नेतृत्व का परिणाम है।
इस आयोजन में उपमुख्यमंत्री अरुण साव, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, कृषि मंत्री राम विचार नेताम सहित कई मंत्री, विधायक और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। सबके चेहरों पर एक ही बात थी—गांव और किसान की खुशहाली ही असली तरक्की है।
आज का दिन साबित कर गया कि हरेली सिर्फ परंपरा नहीं, एक चेतना है—जो हमें हमारी धरती, प्रकृति और मेहनतकश किसान से जोड़ती है।