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मध्यप्रदेश में कांग्रेस के पास नहीं बड़े शहरों में बेहतर प्रत्याशी

भोपाल

  • लोकसभा चुनाव में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर जैसे बड़े शहरों में कांग्रेस को कई चुनाव से लगातार हार मिल रही है। इस बार भी पार्टी को दमदार जिताऊ प्रत्याशी नजर नहीं आ रहा है।
  • प्रदेश कांग्रेस इन सीटों को लेकर हाईकमान के भरोसे दिखाई दे रहा है। यहां से पार्टी की बड़े नेताओं को उतारने की तैयारी है, जिसके लिए कुछ नाम चर्चा में भी हैं।
  • हालांकि अभी तक पार्टी ने कोई स्पष्ट नीति का खुलासा नहीं किया है।
  • कांग्रेस की लोकसभा चुनाव 2019 की पूर्व तैयारियों को देखकर लग रहा है कि इस बार पार्टी ज्यादा बेहतर नतीजे लाने के लिए जोर लगा रही है। कई चुनाव बाद 2009 में कांग्रेस को 12 सीटें मिली थीं, लेकिन तब भी भोपाल, इंदौर, जबलपुर व ग्वालियर में कांग्रेस प्रत्याशी नहीं जीत सके थे।
  • इसके पहले अविभाजित मध्य प्रदेश के समय 1991 में कांग्रेस को 12 सीटें मिली थीं।

दिग्विजय सिंह का नाम बैठकों में आया

  • भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर लोकसभा सीटों पर जीत का स्वाद चखने के लिए तरस रही कांग्रेस इस बार इन सीटों पर चौंकाने वाले फैसले लेकर बड़े चेहरों को चुनाव मैदान में उतार सकती है।
  • पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को लेकर चर्चा है कि उन्हें पार्टी लोकसभा चुनाव में उतार सकती है। उन्हें इंदौर या भोपाल सीट पर चुनाव लड़वाने की मांग कुछ नेताओं ने की भी है।
  • वे भी पत्रकारों से बातचीत में अपने चुनाव लड़ने को लेकर यह जवाब दे चुके हैं कि हाईकमान अगर कहेगा तो वे चुनाव लड़ेंगे। वैसे भी भोपाल और इंदौर से अभी जो नाम चर्चा में हैं, उन्हें जिताऊ प्रत्याशी नहीं माना जा रहा है।

भोपाल के लिए संदीप दीक्षित का नाम चर्चा में

  • सूत्र बताते हैं कि दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित को भी भोपाल सीट से लड़वाए जाने की चर्चा है।
  • दीक्षित का भोपाल से पुराना संबंध भी है। हालांकि उनके नाम को लेकर पार्टी नेता चुप्पी साधे हैं। वहीं, जबलपुर सीट पर भी कांग्रेस को सशक्त प्रत्याशी की तलाश है।
  • इस कमी के चलते कांग्रेस द्वारा समझौते के तहत लोकतांत्रिक जनता दल को जबलपुर सीट दे सकती है, जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव संभावित प्रत्याशी हो सकते हैं।
  • प्रदेश के चौथे बड़े शहर ग्वालियर में भी पार्टी के पास अशोक सिंह के अलावा दूसरा सशक्त प्रत्याशी नहीं है।
  • कुछ समय पहले यह चर्चा अवश्य सामने आई थी कि ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना के बजाय ग्वालियर से चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन उन्होंने और उनकी पत्नी प्रियदर्शनी राजे ने इन चर्चा को गुना-शिवपुरी क्षेत्र के दौरे कर झुठला दिया है।

 

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