नया अध्यक्ष चुनने में मुश्किल खड़ी कर रहा कांग्रेस का सविंधान?
राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद अब पार्टी में इस बात की कशमकश चल रही है कि पार्टी का अगला अध्यक्ष कौन होगा. इसको लेकर कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक के लिए जद्दोजहद तेज हो गई है. लेकिन नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए CWC की बैठक में कौन शामिल होगा इसका सस्पेंस बना हुआ है. कुछ नेताओं का कहना है कि जब ऊपरी स्तर की नियुक्तियां खाली हो तो कांग्रेस पार्टी के सविधान के अनुसार, 29 स्थाई आमंत्रित सदस्य, विशेष आमंत्रित सदस्य और कार्य समिति के पुराने सदस्य नए अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए सीडब्ल्यूसी में शामिल नहीं हो सकते.
नेताओं की माने तो कांग्रेस के नए अध्यक्ष चुनने के प्रक्रिया में सिर्फ 24 पूर्णकालिक सदस्य ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में हिस्सा ले सकते हैं. खबर के मुताबिक, 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद सिर्फ 24 सदस्यों ने नरसिम्हा राव को कांग्रेस के नए अध्यक्ष के रूप में चुना था. साल 1996 में राव के इस्तीफे के बाद सीताराम केसरी को चुना गया तो तब भी यह नियम बरकरार रहा था. इसके बाद सोनिया गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया.
राहुल को है आमंत्रित सदस्यों को सहमति देने का अधिकार?
संयोग देखिए, राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद जिन अधिकांश नेताओं ने नए अध्यक्ष के लिए अपने विचार रखे, उनमें से ज्यादातर सीडब्ल्यूसी के पूर्णकालिक सदस्य नहीं हैं. अब सवाल ये उठ रहा है कि अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद राहुल गांधी आमंत्रित सदस्यों को CWC में शामिल होने के लिए सहमति देने का अधिकार रखते हैं?
जनार्दन द्विवेदी ने किए थे सवाल
इकोनॉमिक्स टाइम्स के इस सवाल पर एक नेता ने कहा, ‘अभी तक कोई ऐसी मिसाल नहीं मिली है.’ बता दें कि अध्यक्ष पद के चुनाव में कांग्रेस नियमों का पालन करने में सावधानी बरतती है, ताकि कोई नए अध्यक्ष के चुनाव को कोर्ट में चुनौती न दे सके. कांग्रेस के पूर्व महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने मंगलवार को सवाल पूछा कि कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर पार्टी के भीतर जो ‘बैठकें’ चल रही हैं, उनके लिए किसने अधिकृत किया है? उन्होंने कहा कि राहुल को इस्तीफा देने से पहले अगले अध्यक्ष के चयन को लेकर कोई व्यवस्था क्यों नहीं बनाई?
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