
टीम इंडिया टी 20 कप से करीब-करीब बाहर हो गई, अब उसे सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए ऊपर वाले के चमत्कार पर निर्भर रहना पड़ेगा । लेकिन एक बात तो तय है कि पहले ही मैच से, विराट की कप्तानी वाली टीम इंडिया में न तो जोश नजर आ रहा था. न ही उनमें ऐसी भावनाएं दिख रही थीं, कि वे देश के लिए खेल रहे हैं । शायद आईपीएल में अपने मालिकों का पट्टा गले में पहनकर जी जान लगा देने वाले इन खिलाड़ियों को, ये टूर्नामेंट महज औपचारिकता दिखाई दिया। वे भूल गए कि देश के लोग आईपीएल सिर्फ मनोरंजन के लिए देखते हैं । जबकि इस तरह के टूर्नामेंट में न सिर्फ उनके इमोशन जुड़े होते हैं, बल्कि वे पूरी दुनिया में अपने तिरंगे को सबसे ऊपर देखना चाहते हैं ।
वैसे भी आईपीएल का उद गम ही देश में छिपी प्रतिभाओं को बाहर लाने के लिए हुआ था । लेकिन अगर इस टूर्नामेंट से इस तरह की रद्दी और नीरस टीम निकले, तो फिर क्यों न इस तरह का आयोजन ही बंद कर दिया जाए । हम इन्हें रद्दी खिलाड़ी इसलिए भी कह सकते हैं, क्योंकि जो टीम पूरी दुनिया के सामने अपनी देश की नाक कटा दे, ऐसी टीम के खिलाड़ी घर में कितना भी अच्छा खेले, तब भी वे घर में पड़ी रद्दी से ज्यादा कुछ भी नहीं । लेकिन विराट एंड कंपनी के खिलाड़ियों को इस शर्मनाक हार पर शर्म भी आएगी, इसकी गुंजाइश कम ही नजर आती है । क्योंकि अच्छा बनने के चक्कर में विराट कोहली तो हर मैच को फ्रेंडली मैच की तरह ले रहे हैं । उन्हें लगता है भारत की डिप्लोमेसी पीएम मोदी के नेतृत्व में फेल हो गई है ।
लिहाजा शायद वे अपनी धरमपत्नी के कहने पर, पाकिस्तान से खुद ही अच्छे रिश्ते बनाने निकल पड़े हैं । उन्हें लगता है कि ऐसा करने से पाकिस्तान अपने घर से आतंकियों को भारत नहीं भेजेगा । अरे विराट भाईसाहब, आप कान खोलकर सुनलो, विरोधी टीमों के साथ हमें ऐसे दोस्ताना रिश्ते बिल्कुल मंजूर नहीं हैं । जिसकी कीमत टीम इंडिया हारकर चुका रही है । इससे अच्छा तो आप तभी थे, जब ग्राउंड पर विरोधी खिलाड़ियों को गालियां बकते थे । लेकिन टीम जीत जाती थी । बाकि पाकिस्तान हो या कोई और देश, उनसे सबंध सुधारने के लिए, देश की जनता अलग से अपने नेता को चुनती है, जिसका काम ही यही है । कि वो पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाते रहे । लेकिन आपसे उम्मीद थी कि इतना पैसा खर्च होने के बाद आप शायद क्रिकेट के मैदान पर पाकिस्तानियों को उनकी औकात दिखाएंगे, लेकिन ये तो आपसे हो नहीं रहा है । तो फिर क्यों न विराट और पूरी विराट कंपनी को ही गुजरात सरकार की तरह बदल दिया जाए । कम से कम दूसरे खिलाड़ी में जुझारू क्षमता तो दिखेगी, आपके जैसे ज्यादा फ्रेंडली होने की कोशिश तो नहीं करेंगे । आप सबकी इस विषय में क्या राय है । नीचे कमेंट कर जरूर बताइगा ।