![चंद्रयान-3 मिशन में छत्तीसगढ़ के इन बेटों का भी योगदान 1 Contribution of these sons of Chhattisgarh in Chandrayaan-3 mission](https://4rtheyenews.com/wp-content/uploads/2023/08/Contribution-of-these-sons-of-Chhattisgarh-in-Chandrayaan-3-mission-780x470.png)
रायपुर । भारत का मून मिशन चंद्रयान-3 ने चांद के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग करते ही इतिहास रच दिया. भारत दुनिया का पहला देश है जो इस जगह पर पहुंचा है.चंद्रयान-3 के चांद पर पहुंचने के बाद लैंडर विक्रम से रोवर प्रज्ञान बाहर निकल गया है.चन्द्रयान-3 के इस अभियान में छत्तीसगढ़ के भी होनहार बच्चे शामिल है इस अभियान में छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के गुरुर ब्लाक अंतर्गत भानपुरी के मिथलेश साहू भी शामिल हैं।मिथलेश इसरो की टीम में बतौर वैज्ञानिक 2017 से शामिल है। कंप्यूटर साइंस में इंजीनियर होने के कारण इसरो ने उन्हें आईटी डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी दी है।
दुर्ग जिले के चरोदा जी केबिन का होनहार युवा k Bharat भी शामिल है। बेहद गरीब परिवार के इस होनहार ने अपनी प्रतिभा के बूते इसरो में नौकरी पाई। के भरत कुमार के घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब रही है। पिता व माता दोनों ही जी केबिन में ही टपरानुमा होटल चलाते थे। बाद में होटल में कमाई न होने पर पिता ने बैंक में गार्ड की नौकरी करने लगे। मां अकेली ही होटल चलाती है। ऐसे में स्कूल जाने से पहले और स्कूल से आने के बाद भरत होटल में मां का हाथ बंटाता था। इतना ही नहीं ग्राहकों के जूठे बर्तन भी मांजता था। इन सबके बावजूद वह पढ़ाई के लिए समय निकालता।के भरत कुमार वर्तमान में इसरो में बतौर मैकेनिकल इंजीनियर पदस्थ हैं।
अभियान में इसरो (ISRO) के वैज्ञानिकों के साथ अम्बिकापुर शहर एक बेटा भी शामिल रहा है. निशांत के साथ टीम ने अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्टरोमीटर चंद्रयान-3 में स्थापित किया है.निशांत सिंह ISRO हैदराबाद में सीनियर साइंटिस्ट के पद पर पदस्थ है निशांत सिंह की प्रारंभिक शिक्षा अम्बिकापुर में हुई है. बचपन से ही निशांत की रुचि विज्ञान के क्षेत्र में थी.बीटेक की पढ़ाई करने वाले निशांत ने आईआईएसटी तिरुवनंतपुरम से भी अध्ययन किया है. अगस्त 2018 से इसरो पीआरएल में सीनियर साइंटिस्ट के पद पर कार्यरत हैं।सभी बच्चों ने देश के साथ-साथ अपने राज्य और अपने शहर का भी नाम रोशन किया है।