कोरोना वायरस: अमीरों की बीमारी, पर गरीब को डंडा खाते देख मजे भी अमीर ही ले रहा है
(Special) क्या आपने कभी सड़कों पर किसी लंदन से आए शख्स को मुर्गा बनते देखा है, क्या आपने देखा है कि इटली से आए किसी एनआराई को पुलिस ने बीच रोड गोल-गोल घूमाया हो. शायद नहीं क्योंकि यह काम गरीब जनता का है, विदेश से आए लोग तो अब भी अपनी कोठियों में छिपकर बैठे होंगे.
दरअसल आज पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का कहर बरस रहा है, हजारों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और लाखों लोग अब भी इस बीमारी से ग्रसित है. लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि जिस अमीर तबके की वजह से भारत देश और दुनिया में यह बीमारी फैली वह अपनी जिम्मेदारी अब भी नहीं निभा रहा है.
चीन के वुहान से निकली यह बीमारी अब दुनिया के 195 देशों में फैल चुकी है, लेकिन जरा सोचिये कि इस बीमारी को अपने-अपने देशों में कौन लेकर गया. जिसके पास खाने को दाना नहीं, क्या वह इस बीमारी को चीन या इटली से लेकर आया, या फिर जो रोज कमाता है रोज खाता है, वह इस बीमारी को अपने साथ लंदन से लेकर आया. यहां दुख की बात यही है कि जो गरीब वर्ग अपनी रोजी रोटी खो चुका है, जिसके सामने आज रोजगार का सबसे ज्यादा संकट है, उसे न तो कभी चीन जाने की चाहत रही, न ही उसे वुहान के बारे में जानकारी है. लेकिन आज भुगत वही रहा है.
कोरोना वायरस के संक्रमण से रोकथाम हेतु नागरिक दें सकते है मदद व सहयोग
यहां सबसे ज्यादा गैर जिम्मेदाराना रवैया अगर कोई अपना रहा है तो वह उच्च वर्ग है, जिससे उम्मीद की जाती है कि वह समझदारी से काम लेगा, पढ़ा लिखा है तो दूसरों को भी इसके बारे में जागरुक करेगा, लेकिन भारत देश और दुनिया में हो इसका उलटा रहा है, जिसकी वजह से पूरी की पूरी मानवता ही खतरे में पड़ गई है.
विदेशों में मौज-मस्ती कर वापस आने वाले कई लोग छिपते घूम रहे हैं, और जब तक वे अपनी बीमारी दूसरे को ट्रांसफर नहीं कर देते या उनकी हालत खराब नहीं होने लगती तब तक वे सामने नहीं आते, मजबूरी में सरकारों को ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाने पड़ रहे हैं.
कोरोना वायरस: 21 नहीं, 2 महीने का बैकअप लेकर चलें – हेमंत सोरेन
सरकारें लगातार हिदायत दे रही हैं, निवेदन कर रही है कि आप दूसरों की जान खतरे में न डाले, खुद सामने आकर इस बीमारी से लड़ने में मदद करें, लेकिन दुख की बात है कि ऐसा हो नहीं पा रहा है. वे और ऐसे लोगों ने अपने ड्रायवर को तक धोखे में रखा है और जरा सोचिये अगर उनके ड्रायवर से यह बीमारी गरीब बस्ती तक चली गई तब क्या होगा. पैसे वाले लोग तो शायद किसी तरह बच भी जाएं, लेकिन इन बस्तियों में रहने वाले लोगों को कौन बचाएगा.
वैसे बचा गरीब अब भी नहीं है, रोजगार छिनने के बाद सड़कों पर अपने गांव वापस जाने की चाहत में पर डंडे खा रहा है, परिवार समेत सैकड़ो मिल का सफर भूखे और प्यासे कर रहा है. लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि अब भी अमीर वर्ग खामोश है, उसने उतने खुले दिल से न तो सरकार का समर्थन किया है और न ही अपने तिजोरी का दरवाजा खोला है.
जी-20 सम्मेलन: कोरोना वायरस के खिलाफ वैश्विक लड़ाई छेड़ने का आह्वान करेंगे प्रधानमंत्री
हां कई फिल्मस्टार सहित दूसरे अरबपति अपने-अपने तरीके से आम लोगों को हाथ धोना और सोशल डिस्टेंस रखना जरूर सिखा रहे हैं, लेकिन वे यह नहीं जानते की जितने बड़े मकान में वे चार लोग रहते हैं उतनी बड़ी बिल्डिंग में तो गरीब बस्ती के आधे लोग आ जाते हैं. हां अगर बड़ी-बड़ी आलिशान इमारतें बनाने वाले लोग अपनी इमारतों के दरवाजे ही कुछ वक्त के लिए गरीबों के लिए खोल दें, फिर कहें कि अब सोशल डिस्टेंस मैंटेन करें, तब काम की बात होगी. लेकिन अफसोस कि अमीरों की जितनी बड़ी कोठी है, उतना बड़ा गरीबों के लिए दिल भी रख पाते.
(निजी विचार)