धीरेंद्र शास्त्री ने प्रेमानंद जी के पक्ष में खोला मोर्चा

बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री एक बार फिर अपने बेबाक बयानों के लिए सुर्खियों में हैं। बुधवार रात दिव्य दरबार में उन्होंने अध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी पर उठे सवालों को लेकर जोरदार प्रतिक्रिया दी और खुलकर उनके समर्थन में सामने आए।
शास्त्री ने मंच से स्पष्ट कहा – “प्रेमानंद जी सिर्फ भजन और अध्यात्म के लिए समर्पित हैं। उन्हें निशाना बनाने वाले दरअसल खुद ‘पेट की बीमारी’ से जूझ रहे हैं।”उनका इशारा था उन आलोचकों की ओर जो प्रेमानंद जी के खिलाफ सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर सक्रिय हैं।
“सच्चाई बोलने वालों को हमेशा ही निशाना बनाया जाता है”
धीरेंद्र शास्त्री ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जैसे एक समय उन्हें उनके खुले विचारों के कारण विवादों में घसीटा गया, वैसे ही आज प्रेमानंद जी को भी वही दौर झेलना पड़ रहा है।
“डर के मारे कुछ लोग हमें ‘हिंदू-हिंदू’ कहकर अलग करने की कोशिश करते हैं, लेकिन हमने हमेशा मंच से निडर होकर सच कहा है,” – उन्होंने कहा।
जातिवाद पर हमला, राष्ट्रवाद की बात
अपने प्रवचन में शास्त्री ने जातिवादी राजनीति पर भी तीखा वार किया। उन्होंने पूछा – “गंगा-जमुनी तहज़ीब की बात करते हैं, तो सरस्वती को क्यों नहीं जोड़ा जाता?” इस बयान के माध्यम से उन्होंने समाज में समरसता और सभी संस्कृतियों के सम्मान का संदेश दिया।
हवास पर कटाक्ष और आध्यात्मिकता-शक्ति का संतुलन
धीरेंद्र शास्त्री ने मौलिक अंदाज़ में कहा – “जब हवास के पुजारी हो सकते हैं, तो हवास के मौलवी क्यों नहीं?”
साथ ही, उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि आज के युग में केवल माला ही नहीं, बल्कि भाला भी जरूरी है – ताकि अध्यात्म और आत्मरक्षा का संतुलन बना रहे।
“हर धर्म में अच्छाई-बुराई साथ चलती है”
अपने संबोधन का अंत करते हुए शास्त्री ने कहा – “हर धर्म में अच्छे-बुरे लोग होते हैं, लेकिन जब कोई एक व्यक्ति ईमानदारी से खड़ा होता है, तो सारी नजरें उसी पर टिक जाती हैं।”
यह बयान उन्होंने प्रेमानंद जी की आलोचना करने वालों को जवाब के रूप में दिया, यह जताते हुए कि सच्चाई आज के समय में सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।