दिव्यांगजन स्वावलंबन योजना ने बदली ज़िंदगी: गनपत कश्यप बने आत्मनिर्भरता की मिसाल

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व और समाज कल्याण मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ सरकार दिव्यांगजनों के सम्मान, स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता को नई दिशा दे रही है। इन्हीं प्रयासों का परिणाम है दिव्यांगजन स्वावलंबन योजना, जिसका प्रभाव पेण्ड्रा क्षेत्र में स्पष्ट दिखता है। यहाँ 63 वर्षीय गनपत कश्यप ने सरकारी सहायता को अवसर में बदलकर एक मिसाल कायम की है।
गौरेला–पेण्ड्रा–मरवाही के ग्राम पतंगवा निवासी गनपत कश्यप शारीरिक चुनौतियों के बावजूद हमेशा आत्मसम्मान और मेहनत में विश्वास रखते थे। समाज कल्याण विभाग एवं वित्त एवं विकास निगम द्वारा मिली ऋण सहायता ने उनकी जिंदगी की राह बदल दी। उन्होंने गाँव में छोटी किराना दुकान शुरू की, जो धीरे–धीरे परिवार—बेटा, बहू, नाती–नातिन—की आजीविका का मजबूत आधार बन गई।
गनपत कश्यप की लगन की कहानी आज पूरे इलाके में प्रेरणा बन चुकी है। हाल ही में जब महाविद्यालय के छात्र–छात्राओं ने उनकी दुकान पर आकर वीडियो–फोटो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा किया, तो गाँव के लोगों ने गर्व से कहा कि मेहनत और सरकारी सहयोग मिलकर जीवन बदलने की ताकत रखते हैं।
इस समय स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण गनपत दुकान नहीं संभाल पा रहे, लेकिन उनके पुत्र हेमंत कश्यप ने पिता के सपनों और आदर्शों को आगे बढ़ाते हुए पूरी जिम्मेदारी निभा ली है। आज यह दुकान सिर्फ व्यवसाय नहीं बल्कि संघर्ष, उम्मीद और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुकी है।
दिव्यांगजन स्वावलंबन योजना साबित कर रही है कि सही मार्गदर्शन, सहयोग और संकल्प किसी भी चुनौती को अवसर में बदल सकता है। गनपत कश्यप की यह यात्रा छत्तीसगढ़ के हजारों दिव्यांगजनों के लिए प्रेरणा बनकर उभर रही है।




