मिलेट्स की उपयोगिता पर रायपुर में विशेष व्याख्यान, डॉ. खादर वली ने किया संबोधित

रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर, और कृषक कल्याण परिषद, छत्तीसगढ़, के संयुक्त तत्वावधान में “अन्न (मिलेट) की उपयोगिता” विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन आज कृषि महाविद्यालय, रायपुर के सेमिनार हॉल में किया गया।
इस कार्यक्रम में पद्मश्री डॉ. खादर वली, जिन्हें “मिलेट मैन ऑफ इंडिया” के नाम से जाना जाता है, मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित हुए। उन्होंने संकाय सदस्यों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों को मिलेट्स के कृषि, पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी फायदों पर विस्तार से जानकारी दी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सुरेन्द्र चंद्रवंशी, अध्यक्ष, कृषक कल्याण परिषद ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. आरती गुहे, अधिष्ठाता, डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी, संचालक, अनुसंधान सेवाएं, और डॉ. एस. एस. टुटेजा, निदेशक, विस्तार सेवाएं उपस्थित रहे।
डॉ. खादर वली ने बताया कि भारत में कभी मिलेट्स का व्यापक उत्पादन और सेवन होता था। ये फसलें जलवायु के अनुकूल होती हैं, कम पानी और उर्वरक में भी अच्छी उपज देती हैं, तथा पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव डालती हैं।
हरित क्रांति के बाद गेहूं और धान की ओर झुकाव के कारण पारंपरिक फसलों की अनदेखी हुई, लेकिन अब समय आ गया है कि हम मिलेट्स को फिर से अपनाकर सतत कृषि प्रणाली को मजबूत करें।
उन्होंने यह भी बताया कि मिलेट्स में प्राकृतिक फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है, जो पाचनतंत्र के लिए लाभकारी है, तथा मधुमेह, हृदय रोग जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने में सहायक है। पारंपरिक आहार मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों के लिए लाभकारी हैं।
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों और विद्यार्थियों से मिलेट्स पर अनुसंधान को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यदि आने वाले वर्षों में लोग मिलेट्स को अपने आहार में शामिल करें, तो भारत स्वास्थ्य और पर्यावरण के क्षेत्र में वैश्विक उदाहरण बन सकता है।
समापन अवसर पर प्रतिभागियों को मिलेट न्यूट्री के उत्पाद जैसे ज्वार चिवड़ा, पीनट कूकीज, कोदो ग्लूटेन फ्री कूकीज, बाजरा पॉप्स और रागी पापड़ी वितरित किए गए। इस आयोजन में 200 से अधिक संकाय सदस्य, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित थे। संचालन डॉ. शुभा बेनर्जी, सहायक प्राध्यापक ने किया।