छत्तीसगढ़रायपुर

रायपुर : माक्र्सवाद प्रासंगिक, वैज्ञानिक-मानवतावादी दर्शन – बादल सरोज

रायपुर : जब तक पूंजीवाद है, माक्र्सवाद प्रासंगिक है. इसने पूंजीवाद की सटीकतम व्याख्या की है और आम जनता को पूंजी के शोषण से मुक्त होने का रास्ता दिखाया है.यह मानव चिंतन की अब तक की सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक उपलब्धि है, जो जड़सूत्रवाद की जगह देश,

काल और परिस्थितियों के हिसाब से अपने को ढालने और वर्गहीन, शोषणविहीन समाज की स्थापना के संघर्ष को आगे बढ़ाने की क्षमता रखती है. जब तक इससे बेहतर कुछ और खोज नहीं लिया जाता, तब तक माक्र्सवाद की प्रामाणिकता बनी रहेगी।

आम जनता को पूंजी के शोषण से मुक्त होने का रास्ता दिखाया है.

ये विचार माकपा नेता बादल सरोज ने कल यहां भिलाई में पार्टी द्वारा आयोजित एक सेमिनार में व्यक्त किए. इसी के साथ छत्तीसगढ़ में पार्टी द्वारा माक्र्स की दूसरी जन्म शताब्दी कार्यक्रमों की शुरूआत हो गई है. इस सभा की अध्यक्षता पार्टी के राज्य सचिवमंडल सदस्य वकील भारती ने की।

बादल सरोज ने कहा कि आज से 150 साल पहले माक्र्स ने ‘पूंजी’ में पूंजीवाद के जिस भविष्य की कल्पना की थी, वह खरी साबित हुई है. विज्ञान व तकनीक की प्रगति और उत्पादन में वृद्धि के बावजूद मानव जीवन की बुनियादी समस्याओं को वह हल करने में असफल साबित हुई है.

इस सभा की अध्यक्षता पार्टी के राज्य सचिवमंडल सदस्य वकील भारती ने की

वह एक संकट के बाद दूसरे संकट में फंसता है, इससे निकलने के लिए आम जनता पर बोझ डालता है लेकिन पूंजीवादी मंदी है कि ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही. अमेरिका में जो ‘आवासन बुलबुला’ फूटा, उसने न केवल वहां के 160 बैंकों को दिवालिया किया, बल्कि पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को गर्त में धकेल दिया.

आज इससे बाहर निकलने के लिए पूंजीवादी अर्थशास्त्री भी माक्र्स की किताबों के पन्ने पलट रहे हैं. उन्होंने कहा कि ‘मुनाफे की हवस’ ने आज पूरी पृथ्वी और मानव सभ्यता को ही दांव पर लगा दिया है और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या से भी निपटने के लिए वह तैयार नहीं है।

उसने न केवल वहां के 160 बैंकों को दिवालिया किया,

पूंजीवाद के मानव विरोधी चरित्र को उजागर करते हुए अपने रोचक वक्तव्य में उन्होंने कहा कि पूंजीवाद लोगों के लिए माल ही पैदा नहीं करता, माल बेचने के लिए लोग भी पैदा करता है. वह मनुष्य को अमानवीय, आत्मकेंद्रित, स्वार्थी और प्रपंची बनाता है. अधिकतम मुनाफा कमाने के लिए बाज़ार के लिए वह उसका ‘अनुकूलन’ करता है.

इससे आर्थिक रूप से असमान और सामाजिक-वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पिछड़े समाज का निर्माण होता है. इससे निकलने का एकमात्र रास्ता यही है कि पूंजीवाद का विध्वंस करके समाजवादी समाज व्यवस्था का निर्माण किया जाए. इसके लिए माक्र्स ने ‘द्वंद्वात्मक भौतिकवाद’ के आधार पर क्रांति के विज्ञान को स्थापित किया।

अधिकतम मुनाफा कमाने के लिए बाज़ार के लिए वह उसका ‘अनुकूलन’ करता है.

माक्र्सवाद के ‘धर्मविरोधी’ होने के आरोप को ख़ारिज करते हुए माकपा नेता ने कहा कि जो लोग धर्म का राजनीति में उपयोग करते हैं, वही लोग कम्युनिस्टों और माक्र्सवाद पर ऐसे आरोप लगाते हैं. वास्तव में माक्र्सवाद धर्म पर हमला नहीं करता, बल्कि उन परिस्थितियों पर हमला करता है, जिसके कारण मनुष्य धर्म और ईश्वर की शरण में जाने को बाध्य होता है.

माक्र्स ने तो धर्म को उत्पीडि़त प्राणों की आह और हृदयहीन दुनिया का ह्रदय बताते हुए आंसुओं के घाटी की परछाई की उपमा दी है. माक्र्सवाद को ‘विदेशी विचार’ कहने वालों को भी उन्होंने ख़ारिज करते हुए कहा कि विचार और चिंतन को भौगोलिक सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता और माक्र्सवादी चिंतन प्रणाली भृगु, कणाद, चार्वाक, बुद्ध की भौतिकवादी चिंतन प्रणाली का ही विकास है।

मनुष्य धर्म और ईश्वर की शरण में जाने को बाध्य होता है

सेमिनार को माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने भी संबोधित किया. उन्होंने माक्र्स को एक स्वप्नदृष्टा और युगदृष्टा बताते हुए कहा कि मनुष्य प्रकृति से श्रमजीवी है और यदि उसके श्रम की चोरी को रोक लिया जाए, तो पूरा समाज खुशहाल हो सकता है. श्रम की चोरी ही उसके दुखों का कारण है. प्राचीन यूरोप में यदि इस श्रम की चोरी दास बनाकर की जाती थी, तो दक्षिण एशिया और भारत में आम जनता को जाति-व्यवस्था की जंजीरों में बांधकर इसे सुनिश्चित किया गया.

आज़ादी के बाद हमारे देश में विकसित पूंजीवाद की विशेषता है कि वह सामंतवाद की नींव पर खड़ा किया गया. फलस्वरूप जाति आज भी शोषण की व्यवस्था बनी हुई है. उन्होंने कहा कि जब तक इस जाति व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष को वर्ग-संघर्ष से नहीं जोड़ा जाता, भारतीय समाज में बुनियादी बदलाव लाना असंभव है. पराते ने कहा कि माक्र्सवाद ‘कार्यवाही का मार्गदर्शक सिद्धांत’ है और हमारे देश में बुनियादी बदलाव के लिए संघर्ष को इसी दृष्टि से संचालित किए जाने की जरूरत है.इस अवसर पर माकपा राज्य समिति सदस्य शांत कुमार, डीवीएस रेड्डी, एस आर भारती, एसपी डे सहित कई लोग उपस्थित थे.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button