छत्तीसगढ़

बाधित न हो पढ़ाई, युवाओं ने ली जिम्मेदारी

पांच दिन से चल रही सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल के कारण स्कूलों की व्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ा है । शिक्षकों के हड़ताल में होने से पढ़ाई नहीं हो पा रही है। कहीं पर हायर सेकेंडरी के शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है तो कहीं पर गांव के शिक्षित युवा बच्चों की कक्षा लेने के साथ व्यवस्था को ठीक करने में लगे हुए हैं। कर्मचारियों की मांग है कि केंद्र के समान उन्हें 34 महंगाई भत्ता और बढ़ी हुई दर पर गृह भाड़ा भत्ता दिया जाना तय किया जाए। इसी बात को लेकर कर्मचारियों के 50 से ज्यादा संगठन के आव्हान पर हड़ताल की जा रहे हैं। शिक्षक भी इसमें शामिल हैं। ऐसे में वैकल्पिक तरीके से स्कूलों का संचालन किया जा रहा है।

पाली विकासखंड के हरदी बाजार लौटानापारा में विद्यार्थियों उसकी पढ़ाई पर असर ना पड़े इसके लिए इसी प्रकार के तरीके अपनाए गए हैं। यहां पर विद्यार्थियों की उपस्थिति के बीच उन्हें पढ़ाने का काम जारी रखा गया है। एक शिक्षिका और स्थानीय युवक मनमोहन राठौर के द्वारा बच्चों को पढ़ाया जाना जा रही है। विद्यार्थियों इस प्रयास की सराहना की। विद्यार्थियों की सुविधा के लिए यहां पर सेवा दे रहे मनमोहन राठौर ने बताया कि हड़ताल के कारण पढ़ाई पर असर ना पड़े इसके लिए यह कोशिश की गई है। शिक्षकों की हड़ताल के कारण सभी तरफ  व्यवस्था बिगड़ रही है इसलिए जरूरत बताई जा रही है कि हड़ताल को खत्म करने की कोशिश सरकार को करना चाहिए। तर्क दिया जा रहा है कि सरकार ने चुनाव से पहले कई प्रकार के वायदे किए थे इसलिए अब इसे निभाने पर ईमानदारी दिखाना चाहिए।

शिक्षकों के हड़ताल पर चले जाने से कोरबा जिले में अधिकांश सरकारी स्कूलों की तस्वीर लगभग एक जैसी बनी हुई है। कहीं पर एक शिक्षक के भरोसे सभी कक्षाएं चल रहे हैं तो कहीं विद्यार्थियों ने अघोषित अवकाश समझकर यहां आने से दूरी बना ली है। लौटना पारा के स्कूल में विद्यार्थियों को पढ़ाने का काम चल रहा है। हो सकता है कि ऐसे लोगों की सेवाओं का मूल्यांकन आने वाले समय में समाज करें।

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